मौत तू अटल है,
सदा ब्रह्मसत्य है,
फिर भी तुझसे भयभीत,
क्यों दुनियां में हर सख़्श है...
तू चिरनिंद्रा है,
तू गहन विश्राम है,
फ़िर भी तुझसे दूर भागता,
क्यों हर इंसान है...
जब तक 'मौत' तू सामने आती नहीं,
जिंदगी की कद्र इंसान करता नहीं,
मोह-माया की टेंशन में तिल तिल मर रहा है,
अनमोल जिंदगी की उपेक्षा कर रहा है...
मौत जिसे तू सदा याद है,
उसे जिंदगी से कोई शिकवा नहीं,
वह हर श्वांस ख़ुशी से ले रहा है,
उसे झूठी शान-शौकत की परवाह नहीं...
हे मृत्यु! 'श्वेता' तुझ पर कविता लिखकर,
किसी को भयभीत करना चाहती नहीं,
बस तेरे नाम को याद दिलाकर,
अनमोल ज़िंदगी की अहमियत बताना चाहती है,
जिंदा है जो वह ख़ुशनशीब हैं,
बस यह अहसास दिलाना चाहती है...
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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