Saturday 10 December 2022

प्रश्न- *गूगल सर्च से पाया कि वर वधु की प्रतिज्ञायें में 5 वर की और 7 वधु की होती हैं पर शांतिकुंज 7-7 करवाता है..ऐसा क्यों?*

 प्रश्न- *गूगल सर्च से पाया कि वर वधु की प्रतिज्ञायें में 5 वर की और 7 वधु की होती हैं पर शांतिकुंज 7-7 करवाता है..ऐसा क्यों?*


उत्तर - परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी आध्यात्मिक वैज्ञानिक वाद के जनक और समर्थक हैं।  अतः कर्मकांड क्यों और कैसे के साथ साथ उस कर्मकांड से किस उद्देश्य को प्राप्त करना है उस पर गहन चिंतन करके तब साहित्य का सृजन किया है। 


गुरुदेव स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते तो इसलिए उन्होंने जो असम्भव कार्य स्त्रियों को गायत्री अधिकार का कोई नहीं कर सका, वह गुरुदेव ने किया। अब स्त्रियां गायत्री जप के साथ साथ यज्ञ पुरोहित भी हैं।


जब स्त्री पुरूष बराबर और एक दूसरे के पूरक हैं, तो घर गृहस्थी सुचारू रूप से चलाने और प्रेम सहकार निभाने में दोनों को समान उत्तरदायित्व निभाना है। तो यदि 7 वादे लड़की करेगी तो समानांतर 7 वादे लड़के को भी करने की आवश्यकता है। इसलिए दो प्रतिज्ञाएं वर के लिए जोड़कर उसे भी सात कर दिया है।


उन्होंने सोलह संस्कारों में विवेचना के समय में भी कुछ संस्कार आज के समय व्यवहार में उतनी गहराई से आधुनिक समय में न लिए जा सकने के कारण हटाया है और जन्मदिवस संस्कार और विवाह संस्कार को मुख्य रूप से जोड़ा है।


गाड़ी के दोनो पहिए में समान हवा हो तो ही गाड़ी का परफॉर्मेंस अच्छा होता है, एक 5% और दूसरा 7% हो तो बात नहीं बनेगी। 


गुगल वह रिजल्ट दिखाता है जो परंपरा वादी लकीर के फ़क़ीर लोगों ने लिखा है। किंतु अनुरोध है कि विवाह जैसे महत्त्वपूर्ण इकाई में समानता और सहयोग के महत्त्व को समझें और वाङ्गमय गृहस्थ एक तपोवन पढ़ें। एक दूसरे को प्रेम के साथ साथ सम्मान भी दें और बराबरी का अधिकार भी दें। तभी जीवन धरती का स्वर्ग बनेगा, अन्यथा झगड़े की कलह आग में जलेगा।


परम पूज्य गुरुदेव एक आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक रिसर्चर हैं, उनके लेख गहन रिसर्च और चिंतन पर आधारित हैं। अतः हम सभी को उनकी किसी से तुलनात्मक विवेचना की जगह गुरू देवकी कहीं बात और लेखन की प्रायोगिकता और उपयोगिता पर चर्चा करना चाहिए और उसे समझ उसका अनुपालन करना चाहिए।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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