Tuesday 13 December 2022

अखिल विश्व गायत्री परिवार को समझने के लिए

 सभी को प्रणाम🙏🏻


अखिल विश्व गायत्री परिवार को समझने के लिए आपको इस परिवार के संरक्षण और संस्थापक का संक्षिप्त परिचय और उनकी योजना को समझना होगा।


 *युगदृष्टा हमारे युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का संक्षिप्त जीवन दर्शन*


युगदृष्टा का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसके दूरदृष्टि हो, जिसके अंदर युग की समस्याओं को समझने, देखने व उसका समाधान देने की क्षमता हो।


युगऋषि का अर्थ है ऐसा ऋषि जिन्होंने अपना समस्त जीवन युगनिर्माण हेतु व समाजउद्धार हेतु तपोमय रिसर्च हेतु लगा दिया हो।


उन्होंने देखा कि मनुष्य की गलत सोच और विचार ही उसके गलत कार्य और दुःखमय जीवन की जड़ है, बिखरे समाज का कारण है। अतः उन्होंने समस्या की जड़ विचार पर कार्य करने की ठानी और विचार क्रांति योजना का शंखनाद किया। 


हमारे गुरुदेव युगदृष्टा व युगऋषि है, जिन्होंने वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु युगानुकूल अध्यात्मिक विधियों, कर्मकांड व तकनीक का सरलीकरण किया। जिन्होंने अध्यात्म को वर्तमान जीवन के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।


युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म २० सितम्बर १९११  और महाप्रयाण ०२ जून १९९० को हुआ। भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की। प्रारंभिक जीवन मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,  उन्होंने 24 लाख के 24 ग़ायत्री महापुरुश्चरण अपने हिमालय वासी गुरु के कहने पर किया व उस तप ऊर्जा से प्राचीन धर्म ग्रंथो का पुनरूत्थान किया। देश की आज़ादी के बाद लोगों को मानसिक ग़ुलामी से आज़ाद करने में जुट गए। अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी, युगऋषि व दृष्टा का समन्वित रूप था। ४ वेद,१०८ उपनिषद, ६ दर्शन,२० स्मृतिया और १८ पुराणों के भाष्यकार । 3200 से अधिक विषयों पर पुस्तकें लिखी।


मनुष्य में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण अर्थात सतयुग की वापसी यह उनका जीवन लक्ष्य था। इस लक्ष्य की आपूर्ति हेतु उन्होंने "युगनिर्माण योजना का शंखनाद" किया। 


*युगनिर्माण योजना एवं विचार क्रांति अभियान हेतु तीन प्रमुख कार्यक्रम दिए* - व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण


👉🏻 *व्यक्ति निर्माण* हेतु सूत्र दिया - उपासना, आत्म साधना, लोक आराधना, समयदान व अंशदान। विभिन्न संस्कार के माध्यम से सकारात्मक मनोवृत्ति गढ़ना।

👉🏻 *परिवार निर्माण* - इसके लिए पारिवारिक स्तर पर- सामूहिक उपासना, सामूहिक स्वाध्याय, परिवार में संस्कार परम्परा की स्थापना, पारिवारिक गोष्ठी, विवाहितों के विवाह दिवस संस्कार आदि के माध्यम से परिवार निर्माण किये जाने की प्रक्रिया चल रही है।

👉🏻 *समाज निर्माण* - समाज निर्माण हेतु अभियान

(१) दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन

(२) सत्प्रवृत्ति संवर्द्धन।


धर्म तन्त्र आधारित विविध माध्यमों से लोक शिक्षण करना


*इस युगनिर्माण योजना को सप्त आंदोलन व सतसूत्रीय कार्यक्रम मे विभाजित किया।*


गुरुदेव ने युग परिवर्तन के लिए युग निर्माण योजना के तहत सात क्रांतियों का आगाज किया जो सप्त क्रांतियों के नाम से विख्यात हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि अगर पूरी तरह इनका पालन किया जाए, तो भारत को फिर से जगत गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये सात क्रांतियां हैं-

👉🏻 *शिक्षा एवं विद्या आंदोलन* - बाल संस्कार शाला, प्रौढ़ शिक्षा शाला, रात्रिकालीन पाठशाला, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा, व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर, कन्या शिविर के द्वारा संस्कार एवं संस्कृतिजन्य शिक्षा हेतु प्रयास। गुरूदेव कहते थे कि शिक्षा वह सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर व्यक्ति निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। आज देश में शिक्षा तो है, लेकिन विद्या यानी संस्कार नहीं है। गुरुदेव से शिक्षा के साथ विद्या का समन्वय करने का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। उन्होंने शिक्षा को संस्कार मूलक बनाने की बात कही। इसके लिए संस्कार शालाएं और भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसी मूल्यपरक शिक्षा को आगे बढ़ाने को कहा।

👉🏻 *साधना आंदोलन*- गुरुदेव साधना को भी एक आन्दोलन मानते थे। आज के समय में जब हर जगह आसुरी शक्तियां अपने पांव पसार रही हैं, ऐसे में साधना के जरिए ही इनसे मुकाबला किया जा सकता है। साधना यानी अपनी इंद्रियों को बस में करना। अपनी साधक प्रवृत्ति को विकसित करना। इसके तहत गुरुदेव ने साधना के तीन आयाम बताए। उपासना यानी ईश्वर के समीप बैठना, साधना यानी अपने मन को नियंत्रित करना और आराधना यानी ईश्वरीय गुणों को धारण करना।

👉🏻 *स्वास्थ्य आंदोलन* - कहा जाता है कि स्वास्थ्य अगर खराब है, तो इंसान कुछ भी नहीं कर सकता। इसलिए इस क्रांति के तहत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कहा। इसके तहत गायत्री परिवार लोगों को प्राकृतिक दिनचर्या अपनाने, योग के ​जरिए स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर जोर दिया जाता है। स्वास्थ्य शिविर, योग शिविर, घर-घर योग व स्वास्थ्य के सूत्रों की स्थापना, गोष्ठियों के माध्यम से आहार-विहार के प्रति जागरूकता, आयुर्वेद का प्रचार एवं स्थापना, बीमार पड़ने के पहले ही उपचार के सूत्र हृदयंगम कराना।

👉🏻 *स्वावलम्बन*- गुरुदेव कहा करते थे कि बेरोजगारी सभी समस्याओं की जड़ है। इसके लिए उन्होंने हर व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाने पर जोर दिया। उनके इस मिशन के तहत युग निर्माण मिशन ने कुटीर उद्योगों को बढ़ाने के लिए नागरिकों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया। इसके अंतर्गत खादी ग्रामोद्योग, गोपालन, साबुन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, प्लास्टिक मोल्डींग, स्क्रीन प्रिंटिंग जैसे कार्य सिखाए जाते हैं।

नारी जागरण- नारी को समर्थ व सशक्त बनाने हेतु प्रयास करना। उसे व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण के कार्य में प्रशिक्षित करके उसकी प्रतिभा व योग्यता का पूरा लाभ उठाना इस हेतु उसे संस्कारगत शिक्षा, गोष्ठियों, सभा सम्मेलनों के माध्यम से आगे लाना। उसे यज्ञ संस्कार व रचनात्मक कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपना। गुरुदेव कहते थे कि नारियां परिवार की धुरी हैं। देश में हजारों महिला मंडलों और नारी संगठनों को स्थापित किया गया है।

👉🏻 *पर्यावरण संरक्षण*- आज पर्यावरण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। आज अगर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य नहीं किया गया, तो धरती नष्ट हो जाएगी। इसके लिए युग निर्माण योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पर्यावरण बचाने हेतु पौधे लगाना, नर्सरी तैयार करना, स्वच्छता सफाई अपनाना, पॉलीथीन का बहिष्कार, डिस्पोजेबल वस्तुओं का विरोध करना, वायु, जल, जैविक खाद का प्रयोग, भूमि का संरक्षण। जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

👉🏻 *व्यसन मुक्ति व कुरीति उन्मूलन आन्दोलन* - जिस देश में कुरीतियाँ हों, वह देश कभी विकास नहीं कर सकता है। इसके लिए गुरुदेव ने कुरीति उन्मूलन क्रांति का आगाज किया। इसके तहत दहेज, खर्चीली शादी, मृत्युभोज, अंधविश्वास, नशा आदि के उन्मूलन के लिए उन्होंने कार्यक्रम चलाए, जिन्हें आज भी उनके कार्यकर्ता चला रहे हैं। इसके लिए रैलियों, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक के जरिए आम जन मानस में जागरुकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।


*गुरुदेव के प्रमुख विचार-विचार क्रांति अभियान* -


1- हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, हम बदलेंगे युग बदलेगा। यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा बनो।

2- अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।

3- अवसर तो सभी को जिन्‍दगी में मिलते हैं, किन्तु उनका सही वक्‍त पर सही तरीके से इस्‍तेमाल कुछ ही कर पाते हैं।

4- इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।

5- जब हम ऐसा सोचते हैं की अपने स्वार्थ की पूर्ति में कोई आँच न आने दी जाय और दूसरों से अनुचित लाभ उठा लें तो वैसी ही आकांक्षा दूसरे भी हम से क्यों न करेंगे।

6- जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं।

7- विचारों के अन्दर बहुत बड़ी शक्ति होती है । विचार आदमी को गिरा सकतें है और विचार ही आदमी को उठा सकतें है । आदमी कुछ नहीं हैं ।

8- लक्ष्य के अनुरूप भाव उदय होता है तथा उसी स्तर का प्रभाव क्रिया में पैदा होता है।

9- लोभी मनुष्य की कामना कभी पूर्ण नहीं होती।

10- मानव के कार्य ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।

11- अव्यवस्तिथ मस्तिष्क वाला कोई भी व्यक्ति संसार में सफल नहीं हो सकता।

12- जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मा विश्वास उतना ही ज़रूरी है ,जितना जीने के लिए भोजन। कोई भी सफलता बिना आत्मा विश्वास के मिलना असंभव है।

13- हम जैसा सोचते हैं, वैसा करने लगते हैं, एक दिन वैसे बन जाते हैं।विचार कर्म के बीज हैं।

14- नर और नारी एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु पूरक हैं। 

15- ग़ायत्री मन्त्र कलियुग की कामधेनु है, इसकी साधना से सांसारिक एवं आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।

16- यज्ञ एक समग्र उपचार पद्धति है, एकल व समूह में समस्त रोगों की चिकित्सा इससे सम्भव है। ब्रह्माण्ड का पोषण व संतुलन यज्ञ से सम्भव है।

17- अच्छी पुस्तकें जीवंत देवता है, जिनके स्वाध्याय से आत्मा प्रकाशित होती है और सही मार्गदर्शन मिलता है। यह हमारी सच्ची मित्र होती है।

18- मनुष्य के भीतर देवत्व का बीज है, जिसे उपासना, साधना व आराधना करके मनुष्य स्वयं के भीतर देवत्व को उभार सकता है।


प्रत्येक मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण यही गायत्री परिवार का विजन व मिशन है। युग निर्माण जितना बड़ा इसका नाम है उतना ही बड़ा काम है। व्यक्तियों का समूह संगठन, ग्राम का समूह -शहर, शहर का समूह- राज्य, राज्य का समूह देश, देशों का समूह विश्व, विश्व जिस समय में अस्तित्व में है उस काल खंड को युग कहते हैं। युग अच्छा या बुरा इस बात पर निर्भर करता है कि उस काल खंड में लोगों का चरित्र-चिंतन-व्यवहार किस तरह की सोच पर टिका है। समूह का सद्चिन्तन से प्रेरित सद्व्यवहार व सत्कर्म ही सतयुग है, समूह का विकृत दुश्चिंतन से प्रेरित दुर्व्यवहार व दुष्कर्म ही कलियुग है। गायत्री परिवार विश्व की सोच को सद्चिन्तन में बदलने हेतु एक क्रांति कर रहा है - जिसे विचारक्रांति अभियान कहते हैं। बहुत बड़ी युगनिर्माण योजना है इसका स्वरूप एवं कार्यक्रम है जो सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम में वर्णित है।


महिला शशक्तिकरण के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास किया, स्त्रियों को ग़ायत्री मन्त्र व यज्ञ का अधिकार दिया। ग़ायत्री परिवार में 65% स्त्रियां यज्ञ पुरोहित है। महिला जागरण के क्षेत्र में अप्रतिम उदाहरण है। स्त्रियों के मनोबल को ऊंचा रखने व उन्हें परिवार व समाज मे बराबर का हक दिलवाने की मुहिम पर कार्य कर रही है। दहेज़ प्रथा व खर्चीली शादी कुरीति का उन्मूलन करके आदर्श विवाह की परंपरा ग़ायत्री परिवार चला रहा है।


गर्भ से ही सकारात्मक संतुलित व्यक्तित्व निर्माण व संस्कार की स्थापना के लिए आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी का अभियान बड़े स्तर पर चल रहा है। 


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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