Thursday, 26 October 2023

स्वार्थी नहीं अपितु परमार्थी मां बनो

 आजकल की मां...

मां स्वार्थी होती है,

अपने बच्चे के लिए...

वह नीति नियम भूल जाती है,

अपने बच्चे के लिए...


दूर रहकर भी बच्चे की भूख का आभास कर लेती है,

बिन बोले भी उसकी ज़रूरत समझ लेती है,

दुनियां से अपने बच्चे के लिए लड़ लेती है,

अपना सारा प्यार दुलार उसी पर लुटा देती है..


पास रहकर भी घर के बुजुर्ग की भूख का आभास नहीं करती,

बोलने पर भी उसकी जरूरत नहीं समझती,

थोड़ी सी सेवा भी बुजुर्गों की अखरती है,

थोड़ा सा प्यार से बोलने में भी उसकी जुबान थकती है...


कुछ भी कर गुजरती है,

अपने बच्चे के लिए...

हाँ झूठ भी बोल देती है,

अपने बच्चे के लिए...


नीति नियम तोड़ देती है,

अपने बच्चे के लिए,

खुद के अस्तित्व को भूल जाती है,

अपने बच्चे के लिए...


जब बच्चा बड़ा होता है...

वह भी अपनी मां की तरह स्वार्थी हो जाता है,

अपने बच्चे के लिए...

वह भी मां के नक्शे कदम पर चलकर,

स्वार्थी बनता है सिर्फ अपने बच्चे के लिए..

समय नहीं निकालता बड़े बुजुर्गों के लिए...


यदि माँ बच्चे के साथ साथ,

अपने माता पिता और सास ससुर पर भी,

थोड़ा प्यार और सेवा लुटायेगी,

तभी वह अपने बच्चे से भी,

बदले में प्यार और सेवा पाएगी...


परमार्थ और निःस्वार्थ सेवा के गुण,

बच्चे देखकर ही सीखते हैं,

केवल अपने बच्चों से प्रेम स्वार्थ में करोगे

और अपने बुजुर्गों की सेवा से मुंह मोड़ोगे तो...

आपके बच्चे भी बड़े होकर,

वो भी केवल अपने ही बच्चों पर प्यार लुटाएंगे,

आपको वृद्ध होने पर वृद्धाश्रम छोड़ आएंगे...


मां हो प्यार के साथ संस्कार और सेवा भी बच्चे में जगाओ,

ख़ुद भी जागो और इन्सानियत अपनाओ,

बच्चे में भी अच्छे संस्कार जगाओ,

प्रेम परमार्थ और सेवाभाव महत्त्व सिखाओ..


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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