दिल धड़कने दो,
साथ में दिमाग़ भी चलने दो,
प्यार में पड़ने से पहले,
खुद को थोड़ा सा होश में रहने दो...
क्या बैशाखी सपोर्ट पर हो,
पिता के पैसे से ऐश पर हो,
तो प्यार में पड़ने से पहले,
ख़ुद को आत्म निर्भर बनने दो...
तुम कोयला हो या हीरा,
ख़ुद को ख़ुद की पहचान करने दो,
चमड़ी के रूप रंग के आधार पर,
ख़ुद को प्यार में मत पड़ने दो...
रूप रंग का आशिक़,
तुमसे बेहतर ऑप्शन मिलने पर तुम्हें छोड़ देगा,
तुम्हारे धन की प्रेमिका,
तुमसे अधिक धनी मिलने पर तुम्हें छोड़ देगी...
उससे प्रेम करना,
जो तुम्हें तुम्हारी कमियों के साथ स्वीकार करे,
रूप रंग धन से ऊपर,
तुम्हारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को अंगीकार करे...
असली प्यार को समझने के लिए,
पहले ख़ुद प्रबुद्ध(मैच्योर) बनो,
दुनियादारी को समझो,
ख़ुद में दूर दृष्टि विकसित करो...
बिना बुद्धि के परिपक्व हुए,
कच्चे घड़े में प्रेम-प्यार का जल मत भरो,
स्वयं होशपूर्वक बुद्धिमानी से जियो,
होशपूर्वक बुद्धि से प्रेम करो...
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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