फ़ैशन, व्यसन और नशे में,
देश का युवा तबाह हो रहा,
देश का युवा बर्बाद हो रहा है...
भारतीय संस्कृति नष्ट हो रही है,
परिवार व्यवस्था ध्वस्त हो रही है..
आँख की शर्म मर गई है,
लज्जा हया कहीं गुम सी गई है,
संस्कारों की चिता जल गई है,
संस्कृति की अर्थी निकल गई है...
पाश्चात्य के अंधानुकरण में,
लड़कियां अर्ध नग्न घूम रहीं हैं,
फ़िल्म विज्ञापन के अंधानुकरण में,
युवा पीढ़ी नशे में मदहोश हो रही है...
वह देश विश्वगुरु कैसे बनेगा,
जिस देश का युवा नशे में बदहवास घूमेगा,
वह देश शशक्त कैसे बनेगा,
जिस देश का युवा नशे से खोखला होता रहेगा...
लव इन फर्स्ट साईट,
डिवोर्स इन फर्स्ट फाइट,
टूटते रिश्ते बिखरते परिवार,
ऐसे में बच्चे को कहां से मिलेगा आदर्श परिवार और संस्कार?
लिव इन का भूत सर चढ़ रहा है,
अनाथ नाज़ायज बच्चों के जन्म का कारण बन रहा,
युवा अब डरपोक - कायर बन रहा है,
आज़ादी के शब्द की आड़ में परिवार की जिम्मेदारी से डर रहा है...
प्यार का बंधन अब युवाओं को नहीं चाहिए,
पशुवत रहना और पशुवत इन्हें व्यभिचार चाहिए,
नशे में डूबकर स्वप्न की दुनियां में रहना चाहते हैं,
हकीकत की दुनियां से इन्हें छुटकारा चाहिए...
इनकी पाशविक प्रवृत्तियों को रोकना होगा,
देश को बर्बाद होने से बचाना होगा,
व्यसन, फैशन और नशे के विरुद्ध आंदोलन करना होगा,
सभी को मिलकर पुनः राम राज्य लाना होगा...
मर्यादा की पुनः स्थापना करनी होगी,
सद्बुद्धि हेतु स्वाध्याय सत्संग घर घर करना होगा,
सोई चेतना को जगाने हेतु,
विचार क्रांति अभियान को और भी अधिक गति देना होगा।
💐श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा, भारत
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