Thursday 26 October 2023

समय नदी के जल की तरह है

 समय नदी के जल की तरह है,

वह कभी अच्छा और कभी बुरा नहीं होता,

वह तो बस अनवरत बहता है,

कभी एक जगह टिकता नहीं है...


समय अच्छा हो या बुरा,

टिकेगा तो दोनो नहीं,

अच्छे पल में अहंकार मत करो,

बुरे पल में विषाद मत करो,

बस धैर्य रखो, पल तो दोनों ही ठहरेंगे नहीं...


स्थित प्रज्ञ बनो और जीवन साक्षी भाव से जियो,

निमित्त बनो और कर्ता भाव का त्याग कर दो,

जो ठीक कर सकते हो वह ठीक कर दो,

जो तुम्हारे बस का नहीं उसे सहजता से स्वीकार कर लो...


समय की नदीं में साधक कभी डूबता नहीं,

क्योंकि "मैं" डुबोता है और "तू ही तू" तिरा देता है,

कर्ता भाव रुलाता है, निमित्त भाव विषाद मुक्त करता है,

स्वयं को मालिक की कुर्सी से उतार दो,

उसमें ईश्वर को बिठा दो,

उसकी ईच्छा को स्वीकार लो,

आनन्द परमानन्द की नाव में बैठकर,

समय का भव सागर पार कर लो....


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...