लापरवाही को भूल का नाम न दो,
हंसकर अपनी लापरवाही को टाल न दो,
बूंद बूंद से सागर बनता है,
छोटी छोटी लापरवाही से आप लापरवाह बनते हो...
घर में हो या जॉब व्यवसाय में हो,
मदहोश लापरवाह मत बनो,
होशपूर्वक जियो और जो कर रहे हो,
उसे दो बार जांच अवश्य लो...
अपने कार्य में हुनर मंद बनो,
अपने जॉब व्यवसाय से सम्बन्धी कुछ नित्य पढ़ो,
रोज़ रोज़ कल से आज बेहतर बनो,
अपने को नई चुनौतियों के लिए तैयार करो...
स्वयं के द्रोणाचार्य स्वयं बनो,
अपने भीतर के अर्जुन को तैयार करो,
लक्ष्य पर जीवन केंद्रित करो,
कोयले से हीरा बनने की राह पर आगे बढ़ो...
💐लेखिका - श्वेता चक्रवर्ती
अखिल विश्व गायत्री परिवार, गुड़गांव, हरियाणा
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