गौ गंगा गीता गायत्री,
इन्हीं से बनी है भारतीय सनातन संस्कृति,
धर्म अर्थ काम मोक्ष,
यही है भारतीय संस्कृति का स्तम्भ...
भारत को विश्व गुरु बनाना है तो,
घर घर गीता पाठ और त्रिसंध्या में गायत्री जप करना होगा,
भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाना है तो,
गौ संवर्धन, गंगा संरक्षण और कृषि को समृद्ध बनाना होगा..
युवाओं की आधुनिक शिक्षा में,
अध्यात्म का मर्म सम्मिलित हो,
ब्रह्मचर्य और संयम की महत्ता,
प्रत्येक युवा को हृदय से स्वीकृत हो...
धर्म और अर्थ दोनों आवश्यक हैं,
यह समझ प्रत्येक जन जन में हो,
धर्म का पालन घर घर में हो,
अर्थ अर्जन में भी प्रत्येक स्वावलंबी हो...
गृहस्थ आश्रम प्रेम और सहकार भरा हो,
वानप्रस्थ आश्रम भी सेवा भावी हो,
सन्यास आश्रम मोक्षदायिनी हो,
जन जन सनातन संस्कृति प्रेमी हो...
वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित हो,
जन्मजात जाति व्यवस्था अमान्य-अस्वीकृत हो,
जन जन को और उनके काम को सम्मान मिले,
प्रत्येक व्यक्ति को कमाने और जीने का अवसर मिले..
यही प्रार्थना है ईश्वर से....
स्वर्णिम भारत की पुनः स्थापना हो,
भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन हो,
विश्व व्यापार में पुनः भारत का बोलबाला हो,
पुनः भारत सुखी समृद्ध वैभवशाली हो...
💐श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत
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