हम सब वैचारिक गुलाम बन गए हैं,
दूसरों के हाथ में अपना रिमोट सौंप दिए हैं,
हां हम सब वैचारिक गुलाम बन गए हैं,
दूसरों के हाथ अपना रिमोट सौंप दिए हैं..
जो भी मन में विचार चल रहा हैं,
ज़रा ध्यान से देखो, वह बाहर से मन के भीतर आ रहा है,
कोई भी विचार अपना कहां हैं?
कोई भी चिंतन ख़ुद में पनपा कहां है?
त्यौहार कैसे मनेगा? यह विज्ञापन बता रहे हैं,
घर में क्या खरीदें? ये दूसरे बता रहे हैं,
कपड़े क्या पहने? यह भी विज्ञापन टीवी सीरियल बता रहे हैं,
परिवार कैसे तोड़े? इसके गुण टीवी सीरियल सिखा रहे हैं?
हमारे हाव भाव चलन को,
फ़िल्म के एक्टर एक्ट्रेस प्रभावित कर रहे हैं...
दुनियां भर के शकुनी,
हमारी युवा पीढ़ी को नशे में जकड़ रहे हैं...
जागो! ज़रा होशपूर्वक विचार करो,
वैचारिक गुलामी से स्वयं को आजाद करो,
नित्य ध्यान स्वाध्याय का अभ्यास करो,
खुद में सही चिंतन और विवेक का जागरण करो..
भेड़ चाल फ़ैशन और व्यसन की मत चलो,
दूसरे के बहकावे में यूं ही मत बहको,
जो भी करो ज़रा सोच विचार करो,
अपने मन और विचार पर स्वयं का ही नियंत्रण स्थापित करो।
🙏श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुरुग्राम, हरियाणा, भारत
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