*जिज्ञासा-*
दीदी प्रणाम 🙏
दीदी मुझे आपसे मार्गदर्शन चाहिए था, कॉरपोरेट में काम करता हूं,अभी 1.5ईयर का एक्सपीरियंस है,
1.कैसे अपने आध्यात्मिक और काम कोऑपरेट वर्ल्ड को मैनेज करू
2. दीदी प्राइवेट जॉब में हमेशा जॉब जाने का डर और वर्कलोड बहुत रहता है ,कैसे इससे तैयार रहे।
3. दी मैं कैसे अपने cooperate लाइफ और लाइफ स्टाईल को हैंडल करू,जिससे मेरा भविष्य अच्छा हो और साथ में गुरुदेव का कार्य भी कर सकूं।
*समाधान-*🙏🏻
प्रिय भाई, आत्मिक उत्थान के लिए प्रयास ही अध्यात्म है। अध्यात्म का अर्थ है होशपूर्वक जीना और स्वयं के प्रति सचेत रहना। शरीर का भरण पोषण करना, मन को व्यवस्थित करना और आत्मिक उन्नति करना बड़ा आसान है। बस समय प्रबंधन करना पड़ेगा और संयम अपनाना होगा। स्वयं को साध लो तो कॉरपोरेट जगत खुद ब खुद सम्हल जाएगा।
ईश्वर उसकी सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करने की कोशिश करता है।
तुम सब मैनेज कर लोगे, बस ईश्वर पर भरोसा रखो, खुद पर भरोसा रखो और संकल्पित होकर प्रयास करो। कुछ सुझाव दे रही हूँ इसे अपना लो।
पक्षी - कर्मचारी (Employee) है
डाली - जॉब (Job) है
पंख - योग्यता (Skillset) है
डाली टूटने का भय पक्षी को कभी नहीं होता, क्योंकि उसे भरोसा डाली पर नहीं अपितु उसका भरोसा पँखो पर होता है। उसे पता है वह उड़ान भर सकता है। जॉब छूटने का भय उस एम्पलॉई को होता है जिसे ईश्वर पर, खुद पर और अपनी योग्यता पर भरोसा नहीं होता।
तुम भी अपने योग्यता के पँखो पर भरोसा रखो, प्राइवेट जॉब निर्भय होंकर करने में आसानी होगी।
आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उसमें कम्पनी के लिए उपयोगी बने, जो भी करें पूरी निष्ठा से करें। कम्पनी में शारीरिक और मानसिक मेहनत डबल करें। स्वयं नित्य योग्य बनाते चलें।
गुरुकार्य और समाजसेवा ऑफिस में जॉब करते हुए बड़ी आसानी से हो सकती है।
अपनी सैलरी को 30 से भाग दें, जो भी एक दिन की सैलरी निकले उसे दान दें। कम से कम महीने में एक दिन की सैलरी और एक दिन का समय गुरुकार्य और लोकहित हेतु खर्च करें।नज़दीकी शक्तिपीठ पर जाकर समयदान एक दिन का करें।
अच्छे विचारों को पढ़ें उसके छोटे छोटे जनउपयोगी आर्टिकल शोशल मीडिया में पोस्ट करें।
नज़दीकी स्कूल में सम्पर्क करके वहां की लाइब्रेरी में युग साहित्य स्थापित करें जिससे आने वाली जनरेशन सद्विचार पढ़ सके।
आसपास की झुग्गी झोपड़ी के गरीब बच्चे जो स्कूल जाते हैं उनके पुस्तक कॉपी पेन खरीद के दे दो। उनको थोड़ा बहुत पढ़ा दो। सम्भव हो तो अपने जैसे दो चार भाई बहन ढूढ़ लो और सब मिलकर बाल संस्कार शाला आसपास शुरू कर दो, गुरुदेव के सप्त आंदोलन में से कोई एक भी शुरू कर दो।
जहां चाह वहां राह बन जाती है, बस समय प्रबंधन करना पड़ेगा।
कोई एक दुकान खोलकर उसमें ही 24 घण्टा खर्च करता है, कोई उन्ही 24 घण्टो में दस दुकान खोलकर मैनेज करता है। कोई माँ एक बच्चा पालने में 24 घण्टे लगा देती है,कोई उन्ही 24 घण्टो में चार बच्चे पालता है। गरीब हो या अमीर सबके पास यही 24 घण्टे है। इन्ही में सब मैनेज करना है।
तुम्हारी जानकारी के लिए बता दें हम भी प्राइवेट जॉब ही करते हैं पिछले 20 साल से कर रहे हैं। हम ईश्वर और अपनी योग्यता के पँखो पर भरोसा करते है। इन्ही 24 घण्टे में कॉरपोरेट जॉब, पति देव के साथ घर गृहस्थी (बेटा 10th बोर्ड इस वर्ष दे रहा है) सम्हाल रहे है, गुरु कार्य करते हैं। युग साहित्य विस्तार और स्कूल में साहित्य स्थापना के कार्य कर रहे हैं। आपके प्रश्न का उत्तर भी दे रहे हैं।
संकल्प में बहुत शक्ति है, ठान लोगे तो ऑफिस, गृहस्थी और गुरु कार्य सब मैनेज कर लोगे।
🙏🏻आपकी बहन
श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुड़गांव हरियाणा
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