प्रश्न - अभी हमारे यहाँ 108 कुंडीय यज्ञ 13 से 16 फरवरी तक संपन्न हुआ प्रयाज, याज का क्रम हो चुका
अब अनुयाज का क्रम में क्या क्या कर सकते हैं मार्गदर्शन प्रदान कर दीजिए..
उत्तर - परम् पूज्य गुरुदेव के साहित्य में हमने पढ़ा था कि रावण मनुष्यों से प्रलोभन या भय से इंसान की इंसानियत छीन कर उन्हें राक्षस बना देता था। रावण बध के बाद इंसान से राक्षस बनाने की प्रक्रिया तो रुक गई। किंतु जो असुरता लोगों के चित्त में बस चुकी थी उसे हटाना जरूरी था। पुनः इंसान के भीतर प्रथम चरण में इंसानियत स्थापित करने की प्रक्रिया करना फिर उन्हें महामानव से देवमानव बनाने की प्रक्रिया ही राम राज्य स्थापना का कार्य भगवान राम जी को करना था। अतः वातावरण में व्याप्त असुरता को नष्ट करने हेतु उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया। मन के भीतर प्रविष्ट असुरता को नष्ट करने हेतु उन्होंने ऋषि गणों से जनसम्पर्क और जनजागृति करवाया। लोगों को दैनिक साधना से जोड़ा और सत्संग करवाये। राम की मर्यादा से ऋषियों ने जन जन को बताया और उन्हें प्रेरणा स्त्रोत मानने को कहा और वही मर्यादा जब जन जन स्वयं में स्थापित की और स्वयं सुधार और बदलाव से जुड़े तो राम राज्य स्थापित हो गया।
युगनिर्माण वस्तुतः राम राज्य स्थापना ही है, सतयुग वापसी ही है। लोगों के भीतर इंसानियत जगा कर भली सोच भली नीयत का मर्यादित बनाना ही है। इसी क्रम हेतु उन्हें सद्बुद्धि के मंत्र गायत्री जप तप से जोड़ना अनिवार्य है। अब तपस्वी ऋषियों का बड़ा समूह जगह जगह सम्पर्क नहीं कर सकता, इसलिए गुरुदेव ने क्रांतिकारी युगसाहित्य में सब लिख दिया है, हमें निमित्त बनकर उन्हें जन जन तक पहुंचाना है और उसे पढ़ने हेतु प्रेरित करना है।
108 कुंडीय यज्ञ अर्थात नए 108 परिवार का युगनिर्माण में जोड़ना और उन्हें गायत्री साधना से जोड़ना। आत्मकल्याण और लोककल्याण में लगाना। 108 परिवार में राम राज्य स्थापित करना।
आप निम्नलिखित कार्य संकल्प ले कर सकते हैं:-
कम से कम 108 नए युवाओं जिनकी उम्र 13 वर्ष से 25 वर्ष के बीच की हो
1- उन्हें एक माला नित्य गायत्री जप से जोड़ेंगे
2- श्रीमद्भागवत गीता पूरी पढ़ने को प्रेरित करेंगे
3- पुस्तक "अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार", "आगे बढ़ने की तैयारी", "शक्ति संचय के पथ पर", "कलात्मक जीवन जियें" और "सफल जीवन की दिशा धारा" का स्वाध्याय पूरा करवाएंगे।
4- एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाये और उनसे पढ़ी पुस्तक की शार्ट नोट मुख्य बाते लिखने को बोलें।
5- महीने में एक बार कोई भी रचनात्मक कार्य वृक्षारोपण या बाल संस्कार का प्रारंभ करें
6- मंदिर उपेक्षित पड़े हैं, अन्य धर्म के लोग कम से कम सप्ताह में एक बार अपने धर्म स्थल जाते है और अपनी धर्म पुस्तक पढ़ते हैं। हमें भी 108 परिवार ऐसे जोड़ने हैं जो यदि प्रत्येक सप्ताह मंदिर न जा सकें तो महीने में एक बार तो सपरिवार अवश्य जाए और यज्ञ करें।
7- किसी भी नजदीकी मंदिर की सफाई और रखरखाव की योजना बनाएं, आसपास के लोगो के प्रेरित कर भजन कीर्तन स्वाध्याय सामूहिक जप इत्यादि सप्ताह में वहां एक बार करवाये।
8- गर्भवती महिलाओं तक युगसाहित्य पहुंचाए, उन्हें "आओ गढ़े संस्कार वान पीढ़ी" कार्यक्रम से जोड़े।
9- परम पूज्य गुरुदेव के बताए सत सूत्रीय कार्यक्रम और सप्त आंदोलन में से जो सम्भव हो उसमें लोगो को जोड़ें।
10 - बिना पद प्रतिष्ठा की चाह के नेतृत्व गुण विकसित करने की कला के वर्कशाप शुरू करें।
11- किसी सामाजिक समस्या पर नुक्कड़ नाटक युवा टीम तैयार करे व उसका जगह जगह प्रदर्शन करे। नशा मुक्ति के अभियान चलाए। योग की महिमा बताकर योग करने हेतु प्रेरित करें।
12- युवाओं को पढ़ना भी है अतः उनसे सप्ताह में दो से तीन घण्टे से अधिक समय ख़र्च न करवाएं, उनको प्रवचन देने की जगह उनसे सलाह लें उनका सहयोग लें।
13- नजदीकी स्कूल में सामूहिक जन्मदिन मनाने के कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु उन्हें ध्यान, गायत्री मंत्र जप, स्वाध्याय और मन्त्रलेखन से जोड़े।
14- वयोवृद्ध लोगों के समूह बनाएं और उन्हें साप्ताहिक स्वाध्याय और जप से जोड़े।
15- महिलाओं को प्रेरित करके उन्हें बलिवैश्वदेव यज्ञ, नैनो यज्ञ हेतु जोड़े। सबके घर बारी बारी से इकट्ठे हो सप्ताह में स्वाध्याय और दीपयज्ञ हेतू प्रेरित करें। जिसके घर जाएँ सब उस परिवार हेतु शुभकामनाएं दें और उसका दुःख दर्द सुने। लोग पागल होने से बच जाएंगे यदि वह गायत्री परिजन रूपी मित्र से अपना दुःख दर्द कह पाएंगे, तो उनका मन हल्का होगा औऱ समाधान भी मिलेगा।
प्रत्येक व्यक्ति के पास आइडिया है, समस्या क्रियान्वयन की है। क्योंकि क्रियान्वयन हेतु सहयोग और संगठन चाहिए। सच्चे दिल से गुरु का नाम लेकर कार्य शुरू करो सफलता मिलेगी।
🙏🏻विचारक्रांति,
गायत्री परिवार गुरुग्राम हरियाणा
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