Thursday, 16 December 2021

प्रश्न- चुनाव मे अपनी एक प्रतिनिधी बहन हार गई है, बहुत निराश हैं? उन्हें कैसे मोटिवेट करूँ?

 प्रश्न- चुनाव मे अपनी एक प्रतिनिधी बहन हार गई है, बहुत निराश हैं? उन्हें कैसे मोटिवेट करूँ?


उत्तर- उन्हें कहिए कि..


उस चीज का रोना या शोक मनाने की आवश्यकता नहीं जो दूसरे के हाथ में है...


हीरे की परख जौहरी करता है धोबी नहीं...


अतः निराश न होकर लोगो को अवेयर कीजिये व स्वयं को चुनने का महत्त्व समझाइये।


एक बार मे सफलता की चाह राजनीति मे नहीँ करनी चाहिए। ममता बनर्जी और जयललिता का राजनीतिक जीवन देखें, कितनी बार हारे मग़र टूटे नहीं। अंत मे बड़ी सफलता मिली।


यदि राजनीति जैसे कठिन पथ को चुना है तो बड़ी सफलता या असफलता से उत्साहित या विचलित न हो। लक्ष्य पर अडिग रहें व अनवरत प्रयत्नशील रहें।


सफलता या असफलता परिणाम है,

केवल प्रयत्न करना हमारा काम है,

प्रयत्न इतनी तल्लीनता व तन्मयता से करो कि,

वह तुम्हें राजनीति में कुशल बना दे,

राजनेताओं की जीवनी पढ़ो,

व उनके जीवन से प्रेरणा लो।

सफल व असफल दोनो का जीवन चरित्र पढ़ो,

जानो कि कोई सफल क्यों है व कोई असफल क्यों है?


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Monday, 13 December 2021

युगदृष्टा हमारे युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जीवनदर्शन-जीवन परिचय

 *युगदृष्टा हमारे युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जीवन दर्शन*


युगदृष्टा का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसके दूरदृष्टि हो, जिसके अंदर युग की समस्याओं को समझने, देखने व उसका समाधान देने की क्षमता हो।


युगऋषि का अर्थ है ऐसा ऋषि जिन्होंने अपना समस्त जीवन युगनिर्माण हेतु व समाजउद्धार हेतु तपोमय रिसर्च हेतु लगा दिया हो।


हमारे गुरुदेव युगदृष्टा व युगऋषि है, जिन्होंने वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु युगानुकूल अध्यात्मिक विधियों, कर्मकांड व तकनीक का सरलीकरण किया। जिन्होंने अध्यात्म को वर्तमान जीवन के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।


युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म २० सितम्बर १९११  और महाप्रयाण ०२ जून १९९० को हुआ। भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की। प्रारंभिक जीवन मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,  उन्होंने 24 लाख के 24 ग़ायत्री महापुरुश्चरण अपने हिमालय वासी गुरु के कहने पर किया व उस तप ऊर्जा से प्राचीन धर्म ग्रंथो का पुनरूत्थान किया। देश की आज़ादी के बाद लोगों को मानसिक ग़ुलामी से आज़ाद करने में जुट गए। अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी, युगऋषि व दृष्टा का समन्वित रूप था। ४ वेद,१०८ उपनिषद, ६ दर्शन,२० स्मृतिया और १८ पुराणों के भाष्यकार । 3200 से अधिक विषयों पर पुस्तकें लिखी।


मनुष्य में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण अर्थात सतयुग की वापसी यह उनका जीवन लक्ष्य था। इस लक्ष्य की आपूर्ति हेतु उन्होंने "युगनिर्माण योजना का शंखनाद" किया। 


*युगनिर्माण योजना एवं विचार क्रांति अभियान हेतु तीन प्रमुख कार्यक्रम दिए* - व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण


👉🏻 *व्यक्ति निर्माण* हेतु सूत्र दिया - उपासना, आत्म साधना, लोक आराधना, समयदान व अंशदान। विभिन्न संस्कार के माध्यम से सकारात्मक मनोवृत्ति गढ़ना।

👉🏻 *परिवार निर्माण* - इसके लिए पारिवारिक स्तर पर- सामूहिक उपासना, सामूहिक स्वाध्याय, परिवार में संस्कार परम्परा की स्थापना, पारिवारिक गोष्ठी, विवाहितों के विवाह दिवस संस्कार आदि के माध्यम से परिवार निर्माण किये जाने की प्रक्रिया चल रही है।

👉🏻 *समाज निर्माण* - समाज निर्माण हेतु अभियान

(१) दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन

(२) सत्प्रवृत्ति संवर्द्धन।


धर्म तन्त्र आधारित विविध माध्यमों से लोक शिक्षण करना


*इस युगनिर्माण योजना को सप्त आंदोलन व सतसूत्रीय कार्यक्रम मे विभाजित किया।*


गुरुदेव ने युग परिवर्तन के लिए युग निर्माण योजना के तहत सात क्रांतियों का आगाज किया जो सप्त क्रांतियों के नाम से विख्यात हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि अगर पूरी तरह इनका पालन किया जाए, तो भारत को फिर से जगत गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये सात क्रांतियां हैं-

👉🏻 *शिक्षा एवं विद्या आंदोलन* - बाल संस्कार शाला, प्रौढ़ शिक्षा शाला, रात्रिकालीन पाठशाला, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा, व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर, कन्या शिविर के द्वारा संस्कार एवं संस्कृतिजन्य शिक्षा हेतु प्रयास। गुरूदेव कहते थे कि शिक्षा वह सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर व्यक्ति निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। आज देश में शिक्षा तो है, लेकिन विद्या यानी संस्कार नहीं है। गुरुदेव से शिक्षा के साथ विद्या का समन्वय करने का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। उन्होंने शिक्षा को संस्कार मूलक बनाने की बात कही। इसके लिए संस्कार शालाएं और भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसी मूल्यपरक शिक्षा को आगे बढ़ाने को कहा।

👉🏻 *साधना आंदोलन*- गुरुदेव साधना को भी एक आन्दोलन मानते थे। आज के समय में जब हर जगह आसुरी शक्तियां अपने पांव पसार रही हैं, ऐसे में साधना के जरिए ही इनसे मुकाबला किया जा सकता है। साधना यानी अपनी इंद्रियों को बस में करना। अपनी साधक प्रवृत्ति को विकसित करना। इसके तहत गुरुदेव ने साधना के तीन आयाम बताए। उपासना यानी ईश्वर के समीप बैठना, साधना यानी अपने मन को नियंत्रित करना और आराधना यानी ईश्वरीय गुणों को धारण करना।

👉🏻 *स्वास्थ्य आंदोलन* - कहा जाता है कि स्वास्थ्य अगर खराब है, तो इंसान कुछ भी नहीं कर सकता। इसलिए इस क्रांति के तहत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कहा। इसके तहत गायत्री परिवार लोगों को प्राकृतिक दिनचर्या अपनाने, योग के ​जरिए स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर जोर दिया जाता है। स्वास्थ्य शिविर, योग शिविर, घर-घर योग व स्वास्थ्य के सूत्रों की स्थापना, गोष्ठियों के माध्यम से आहार-विहार के प्रति जागरूकता, आयुर्वेद का प्रचार एवं स्थापना, बीमार पड़ने के पहले ही उपचार के सूत्र हृदयंगम कराना।

👉🏻 *स्वावलम्बन*- गुरुदेव कहा करते थे कि बेरोजगारी सभी समस्याओं की जड़ है। इसके लिए उन्होंने हर व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाने पर जोर दिया। उनके इस मिशन के तहत युग निर्माण मिशन ने कुटीर उद्योगों को बढ़ाने के लिए नागरिकों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया। इसके अंतर्गत खादी ग्रामोद्योग, गोपालन, साबुन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, प्लास्टिक मोल्डींग, स्क्रीन प्रिंटिंग जैसे कार्य सिखाए जाते हैं।

नारी जागरण- नारी को समर्थ व सशक्त बनाने हेतु प्रयास करना। उसे व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण के कार्य में प्रशिक्षित करके उसकी प्रतिभा व योग्यता का पूरा लाभ उठाना इस हेतु उसे संस्कारगत शिक्षा, गोष्ठियों, सभा सम्मेलनों के माध्यम से आगे लाना। उसे यज्ञ संस्कार व रचनात्मक कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपना। गुरुदेव कहते थे कि नारियां परिवार की धुरी हैं। देश में हजारों महिला मंडलों और नारी संगठनों को स्थापित किया गया है।

👉🏻 *पर्यावरण संरक्षण*- आज पर्यावरण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। आज अगर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य नहीं किया गया, तो धरती नष्ट हो जाएगी। इसके लिए युग निर्माण योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पर्यावरण बचाने हेतु पौधे लगाना, नर्सरी तैयार करना, स्वच्छता सफाई अपनाना, पॉलीथीन का बहिष्कार, डिस्पोजेबल वस्तुओं का विरोध करना, वायु, जल, जैविक खाद का प्रयोग, भूमि का संरक्षण। जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

👉🏻 *व्यसन मुक्ति व कुरीति उन्मूलन आन्दोलन* - जिस देश में कुरीतियाँ हों, वह देश कभी विकास नहीं कर सकता है। इसके लिए गुरुदेव ने कुरीति उन्मूलन क्रांति का आगाज किया। इसके तहत दहेज, खर्चीली शादी, मृत्युभोज, अंधविश्वास, नशा आदि के उन्मूलन के लिए उन्होंने कार्यक्रम चलाए, जिन्हें आज भी उनके कार्यकर्ता चला रहे हैं। इसके लिए रैलियों, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक के जरिए आम जन मानस में जागरुकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।


*गुरुदेव के प्रमुख विचार-विचार क्रांति अभियान* -


1- हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, हम बदलेंगे युग बदलेगा। यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा बनो।

2- अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।

3- अवसर तो सभी को जिन्‍दगी में मिलते हैं, किन्तु उनका सही वक्‍त पर सही तरीके से इस्‍तेमाल कुछ ही कर पाते हैं।

4- इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।

5- जब हम ऐसा सोचते हैं की अपने स्वार्थ की पूर्ति में कोई आँच न आने दी जाय और दूसरों से अनुचित लाभ उठा लें तो वैसी ही आकांक्षा दूसरे भी हम से क्यों न करेंगे।

6- जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं।

7- विचारों के अन्दर बहुत बड़ी शक्ति होती है । विचार आदमी को गिरा सकतें है और विचार ही आदमी को उठा सकतें है । आदमी कुछ नहीं हैं ।

8- लक्ष्य के अनुरूप भाव उदय होता है तथा उसी स्तर का प्रभाव क्रिया में पैदा होता है।

9- लोभी मनुष्य की कामना कभी पूर्ण नहीं होती।

10- मानव के कार्य ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।

11- अव्यवस्तिथ मस्तिष्क वाला कोई भी व्यक्ति संसार में सफल नहीं हो सकता।

12- जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मा विश्वास उतना ही ज़रूरी है ,जितना जीने के लिए भोजन। कोई भी सफलता बिना आत्मा विश्वास के मिलना असंभव है।

13- हम जैसा सोचते हैं, वैसा करने लगते हैं, एक दिन वैसे बन जाते हैं।विचार कर्म के बीज हैं।

14- नर और नारी एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु पूरक हैं। 

15- ग़ायत्री मन्त्र कलियुग की कामधेनु है, इसकी साधना से सांसारिक एवं आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।

16- यज्ञ एक समग्र उपचार पद्धति है, एकल व समूह में समस्त रोगों की चिकित्सा इससे सम्भव है। ब्रह्माण्ड का पोषण व संतुलन यज्ञ से सम्भव है।

17- अच्छी पुस्तकें जीवंत देवता है, जिनके स्वाध्याय से आत्मा प्रकाशित होती है और सही मार्गदर्शन मिलता है। यह हमारी सच्ची मित्र होती है।

18- मनुष्य के भीतर देवत्व का बीज है, जिसे उपासना, साधना व आराधना करके मनुष्य स्वयं के भीतर देवत्व को उभार सकता है।


प्रत्येक मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण यही गायत्री परिवार का विजन व मिशन है। युग निर्माण जितना बड़ा इसका नाम है उतना ही बड़ा काम है। व्यक्तियों का समूह संगठन, ग्राम का समूह -शहर, शहर का समूह- राज्य, राज्य का समूह देश, देशों का समूह विश्व, विश्व जिस समय में अस्तित्व में है उस काल खंड को युग कहते हैं। युग अच्छा या बुरा इस बात पर निर्भर करता है कि उस काल खंड में लोगों का चरित्र-चिंतन-व्यवहार किस तरह की सोच पर टिका है। समूह का सद्चिन्तन से प्रेरित सद्व्यवहार व सत्कर्म ही सतयुग है, समूह का विकृत दुश्चिंतन से प्रेरित दुर्व्यवहार व दुष्कर्म ही कलियुग है। गायत्री परिवार विश्व की सोच को सद्चिन्तन में बदलने हेतु एक क्रांति कर रहा है - जिसे विचारक्रांति अभियान कहते हैं। बहुत बड़ी युगनिर्माण योजना है इसका स्वरूप एवं कार्यक्रम है जो सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम में वर्णित है।


महिला शशक्तिकरण के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास किया, स्त्रियों को ग़ायत्री मन्त्र व यज्ञ का अधिकार दिया। ग़ायत्री परिवार में 65% स्त्रियां यज्ञ पुरोहित है। महिला जागरण के क्षेत्र में अप्रतिम उदाहरण है। स्त्रियों के मनोबल को ऊंचा रखने व उन्हें परिवार व समाज मे बराबर का हक दिलवाने की मुहिम पर कार्य कर रही है। दहेज़ प्रथा व खर्चीली शादी कुरीति का उन्मूलन करके आदर्श विवाह की परंपरा ग़ायत्री परिवार चला रहा है।


गर्भ से ही सकारात्मक संतुलित व्यक्तित्व निर्माण व संस्कार की स्थापना के लिए आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी का अभियान बड़े स्तर पर चल रहा है। 


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

पत्र विषय - "अब न जागे/चेते, तो कहीं देर न हो जाये। आपके बच्चे कहीं नशे के मार्ग में ग़ुमराह न हो जाये

 पत्र विषय - "अब न जागे/चेते, तो कहीं देर न हो जाये। आपके बच्चे कहीं नशे के मार्ग में ग़ुमराह न हो जाये

दिनांक - 13 दिसम्बर 2021


आत्मीय भाइयों एवं बहनों, किशोर व युवा बच्चों,


नशे के व्यापारी, देहव्यापारी व माफिया और डार्क जगत के लोग हमारी इसी दुनियां को कुरूप, विकृत व तबाह करने पर उतारू हैं। उड़ता पंजाब फ़िल्म यदि आप में से किसी ने भी देखी हो तो आपको पता चल जाएगा कि युवाओ को नशे व ड्रग्स की लत से कैसे तबाह किया जा रहा है। आप गूगल सर्च से भी तबाही का विवरण जान सकते हैं। यह डार्क जगत जाल बिछाकर तैयार बैठे हैं, फ़िल्म में इन्वेस्ट करके नशे के प्रमोट कर रहे हैं। बच्चों का ब्रेन वाश कर रहे हैं। 


उनके शकुनि फ़िल्म विज्ञापन किताबें पोर्न विडियो इत्यादि के माध्यम से आपके बच्चों को गुमराह करने व उनका जीवन नर्कमय बनाने को तैयार बैठे हैं लेकिन उनसे अपने बच्चों को बचाने के लिए क्या आपने अपने बच्चों के हाथ मार्गर्शन को श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवद्गीता, प्रखर बुद्धि के लिए ग़ायत्री मन्त्र जप, मन को स्व नियंत्रित करने हेतु उगते सूर्य का ध्यान, मन को मजबूत करने योग-प्राणायाम से जोड़ा है??


अपने बच्चे व उसके आसपास के फ्रेंड सर्कल को नशे से बचाने व ग़ुमराह होने से बचाने के लिए आपकी क्या तैयारी है? कुछ इस सम्बंध में सोचा है? 


यदि आपका बच्चा आध्यात्मिक न हुआ, मन से मजबूत न हुआ और बुद्धिकुशल न हुआ तो उसके जीवन को ग़लत राह में मोड़ना बहुत आसान है।


आपकी बहन हूँ, आपका व आपके बच्चों का भला चाहती हूँ। इसलिए नित्य पत्र लिखकर आपको जगा रही हूँ। गुरुदेव कहते हैं कि अध्यात्म की रौशनी ही डार्क जगत से लड़ने में मददगार है।


युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम आचार्य जी ने ग़ायत्री परिवार के माध्यम से विश्व व्यापी नशामुक्ति अभियान व जनजागरण अभियान चलाया है। इस मिशन से जुड़िये व बच्चों के उज्ज्वल भविष्य हेतु उन्हें मानसिक मजबूत बनाइये।


कॉन्वेंट स्कूल व अंग्रेजी शिक्षा केवल शिक्षित करती है, इससे सद्बुद्धि, मन पर नियंत्रण व मन की मजबूती नहीं मिलती। भावनात्मक स्थिरता नहीं आती। अतः इस भ्रम में न रहे कि अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा दिया है तो अब बच्चा इन डार्क जगत से बचने योग्य कुशलता सीख लेगा। हम स्वयं इंजीनियर है, कॉरपोरेट में काम करते हैं। अंग्रेजी बोलने वाले व पढ़े लिखे लोगों को नशे में तबाह होते देखें है। 


शिक्षा व बुद्धि एक चाकू/हथियार की तरह है, इसका उपयोग कहाँ व कैसे करना है यह हमारी भावनाएं तय करती है कि इसके उपयोग से किसी को लूटना है या किसी की जान बचानी है?


अभी भी समय है चेत जाइये, जाग जाइये। बच्चों के जीवन का अनिवार्य अंग श्रीमद्भागवत गीता, अच्छी युगसाहित्य का स्वाध्याय, ग़ायत्री मन्त्र जप, ध्यान व प्राणायाम बना दीजिये, उन्हें आत्मा की रौशनी से दुनियां को देखने का हुनर दीजिये। ताकि वह सुरक्षित व व्यवस्थित जीवन जी सकें। क्या सही है व क्या गलत है, यह निर्णय ले सकें।


मैं सेलिब्रिटी फ़िल्म जगत की नहीं हूँ जो पैसे की लालच में आपके बच्चों के लिए पान, गुटखा, ड्रग्स व शराब का ज़हर का विज्ञापन दूँ, बच्चों की लाशों पर पैसे कमाऊं।


मैं देशभक्त पूज्य गुरुदेव की शिष्य हूँ। मुझे आप भले जानते न हों कभी टीवी पर न देखा हो, मग़र आपके बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनने से रोकने की मुहिम जुटी हूँ। आपके बच्चों का सुखी व उज्ज्वल भविष्य ही मेरी कमाई है।


यदि आप मेरी तरह देशभक्त है व देश की आने वाली पीढ़ी को नशे के गर्त में गिरने से बचाना चाहते हैं। इस पोस्ट को शेयर करें। लोगो मे अवेयरनेस जगाएं।


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Sunday, 12 December 2021

अभी जिसकी कद्र नहीं जो मिल गया, वो चला गया तो बहुत पछताओगे।

 अभी जिसकी कद्र नहीं जो मिल गया, वो चला गया तो बहुत पछताओगे।


आत्मीय भाइयों व बहनों


1- हम सबको अब आज़ाद देश में जीने की कद्र नहीं रह गयी है

2- तीर्थ स्थल जाने पर जज़िया कर देना पड़ता नहीं- एक हाथ पर अब कोई थूकता नहीं और पैसा देना पड़ता नहीं, इस दर्द से आज़ाद हैं इसकी कद्र नहीं

3- अंग्रेजों की दर्दनाक ग़ुलामी व मनमाना कर वसूले जाने के दर्द से मुक्ति मिली हुई है। तो इसकी कद्र नहीं।

4- तलवार की नोक पर धर्मपरिवर्तन और बहन बेटियों की सार्वजनिक इज्जत लूटने का भय नहीं। इस समस्या से मुक्ति की कद्र नहीं

5- जिन्होंने हमें आज़ादी दिलवाई उन लाखों क्रांतिकारियों के स्मरण की हमें फुर्सत नहीं। उनकी कद्र नहीं।


गौ, गंगा, गीता व ग़ायत्री जो हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ है, उस आधार व संस्कार को प्रत्येक घर में दृढ़ता से अनुपालन करवाने की फुर्सत नहीं। 


श्रीमद्भागवत गीता, श्रीरामचरितमानस का स्वाध्याय, सूर्य अर्घ्य दान व नित्य ध्यान व ग़ायत्री मन्त्र जप से सुपर ब्रेन संतानों को गढ़ने की फुर्सत नहीं। अपने धर्म ग्रंथो व मंत्रों की शक्ति की कद्र नहीं।


भारतीय वीरों के जीवन चरित्र सुनाकर अपनी संतानों को वीर व साहसी बनाने की फुर्सत नहीं। उन वीरों की वीरता की कद्र नहीं।


आपस में ही जाति के नाम पर व निज स्वार्थों में लड़ मर रहे हैं। 


अगर नहीं सुधरे तो पुनः नर्क व गुलामी की ओर बढोगे। पुनः तुम्हारी कायरता व बेपरवाही देश को गुलाम व देशवासियों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर देगी।


सोफासेट पर आराम, टीवी में मनोरंजन व थाली का भोजन तभी तक है जब तक देश आजाद है। हम संगठित है।


अन्य धर्मों के पास अनेक देश है। हमारे पास तो एक हिन्दू राष्ट्र भी नहीं। जो थोड़ा बहुत बचा है वही बचा लो, वरना हाथ मलते रह जाओगे।


हम दो हमारे दो के साथ सबके दो ही हो इसके लिए एकजुट हो जाओ वरना तुम्हारी संतानों का जीवन अंधकारमय हो जाएगा। सुधर जाओ व देश भक्त बन जाओ, देश की एकता अखंडता के साथ मिलकर प्रयास करो यही विनती तुम्हारी यह बहन कर रही है।


💐तुम्हारी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रार्थना व शुभ आशीर्वाद जीवन के लिए जरूरी है

 प्रार्थना व शुभ आशीर्वाद जीवन के लिए जरूरी है


आत्मीय भाइयों व बहनों,


आज कलियुग में गालियां व बद्दुआ देने वाले, भटकाने वाले तो बहुत मिलते हैं, मग़र दिल से हमें शुभ आशीर्वाद, दुआएं व हमारे उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करने वाले, मार्गदर्शन करने वाले बहुत कम मिलते हैं। अच्छी जीवन उपयोगी पुस्तक सबसे बड़ी मार्गदर्शक व मित्र है।


परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इस हेतु घर घर दीपयज्ञ, ग़ायत्री मन्त्र जप व शुभ आशीर्वाद पाने की सुंदर विधि व्यवस्था दी है।


आप सभी मित्र समूहों में बात करके सप्ताह में एक दिन सबके घरों बारी बारी से कर सकते हैं। जिस घर जाए उनके घर मे उनके उज्जवल भविष्य व सुखी जीवन के लिए 108 बार समूह में उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए ग़ायत्री मन्त्र जप कर लें, 24 बार महामृत्युंजय मंत्र जप कर लें। पांच दिए जलाकर दीपयज्ञ कर लें। कम से कम एक भजन कर लें। अधिक भी कर सकते हैं। पूजन के बाद थोड़े पुष्प सभी हाथ मे लेकर जिसके घर पूजन है उस पर पुष्प वर्षा करते हुए मन्त्र बोलते हुए शुभ आशीर्वाद दें। यह छोटा सा पूजन व आशीर्वाद उसके जीवन मे नई ऊर्जा व प्राण चेतना का ऊर्ध्वगमन करेगा। उसके घर की ऊर्जा प्योरिफाई होगी। उसको मानसिक शांति व सुकून मिलेगा। उससे उसकी समस्याओं के बारे में भी पूँछे जिससे निष्कासन मन की उलझनों का होगा। मनोबल एक दूसरे का बढ़ाएं, अच्छे युगसाहित्य का स्वाध्याय करें।


यह आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक प्रयोग एक दूसरे के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने आसपड़ोस में शुरू करें। छोटे छोटे प्रयास बड़े बड़े असर दिखाएंगे।


मानसिक पीड़ा व कलियुग मे आशीर्वाद की कमी पूरी करने का यह रामबाण इलाज है। इसे अपनाएं, जब आप मित्र समूह में दूसरों को प्यार व आशीर्वाद निःश्वार्थ भाव से बांटेंगे व दूसरे भी आपको प्यार व आशीर्वाद देंगे। आत्मीयता बढ़ेगी व आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे।


आपकी बहन हूँ आपके भले की बात कर रही हूँ। यह प्रयोग आजमा कर देखें, इसके लाभ को स्वयं भी अनुभव करें व दुसरो को भी लाभान्वित करें।


दीपयज्ञ आप नजदीकी ग़ायत्री शक्तिपीठ से निःशुल्क सीख सकते हैं। या आप ऑनलाइन भी सीख सकते हैं। प्रज्ञा शुक्ला जी ऑनलाइन दीपयज्ञ निःशुल्क सिखाती है उनसे संपर्क इस नम्बर पर करें - +919540163703(प्रज्ञा शुक्ला)


जीवन प्रतिध्वनि है जो बोयेंगे व लौटकर आप तक ही आएगा। अच्छा करेंगे तो अच्छाई आप तक जरूर पहुंचेगी।


स्वाध्याय के लिए निम्नलिखित इमेज में दी हुई पुस्तको का सेट 50% डिस्काउंट में मंगवाने के लिए हमें निम्नलिखित नम्बर पर सम्पर्क करे। इन पुस्तकों का कुल मूल्य 627 रुपये है। 50% डिस्काउंट पर यह 313 रुपये में मिलेगी, डाक खर्च 57 रुपये आपको अलग से देना होगा। तो एक सेट के लिए कुल पेमेंट 370 रुपये करना होगा।

साहित्य के लिए सम्पर्क सूत्र- 9810893335 (श्वेता चक्रवर्ती)


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

अच्छी उपयोगी चीजों की मार्केटिंग आपको और हमें स्वयं करनी पड़ेगी, बर्बादी लाने वाली व अनुपयोगी चीजों की मार्केटिंग के लिए बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी व विज्ञापन एजेंसियां हैं।

 *अच्छी उपयोगी चीजों की मार्केटिंग आपको और हमें स्वयं करनी पड़ेगी, बर्बादी लाने वाली व अनुपयोगी चीजों की मार्केटिंग के लिए बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी व विज्ञापन एजेंसियां हैं।*


आत्मीय भाइयों बहनों, 


आजकल आपकी यह बहन नित्य आपको पत्र लिखकर जगा रही है, क्योंकि हम आपका व आपके परिवार का भला चाहते हैं व देश का भला चाहते हैं।


पैक्ड केमिकल युक्त जूस, मैगी और अन्य जंक फूड, चॉकलेट और अन्य जल्दी न सड़े इसलिए केमिकल मिलाए चिप्स फ्राइड पापड़, कुरकुरे नमकीन इत्यादि का विज्ञापन आये दिन यत्र तत्र सर्वत्र आपको मिलेगा। जो आपको व आपके परिवार को बीमार करने वाला व आप सब की इम्यूनिटी घटाने वाला है। इससे कम्पनियों को फायदा है लेकिन आप सबका भारी नुकसान है।

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मक्के व बाजरे की रोटी, सरसो व हरे साग, लस्सी व देशी स्वास्थ्यकर पेय, हमारे प्राचीन भोजन व पकवान का विज्ञापन करने कोई कम्पनी नहीं आएगी न टीवी पर इनका विज्ञापन आएगा। यह पुष्टिकारक, यौवन सुरक्षित रखने वाला, इम्युनिटी बढाने वाला है। इससे आपका फायदा है, कम्पनियों का नहीं। आत: इन सब चीज़ों का विज्ञापन वह नहीं करेंगे, हमे और आपको करना पड़ेगा।


*भारतीय किचन एक छोटा चिकित्सालय है*, जिसे बंद करने की मल्टीनेशनल कम्पनियों की साजिश को हम सबको मिलकर नाकाम करना है।


देशी व्यंजन बनाये, उसे फेसबुक व व्हाट्सएप पर खूबसूरती से डेकोरेट कर शेयर करें। उसकी गुणवत्ता बताएं व लोगो को अवेयर करें। शोशल मीडिया पर भारतीय स्वास्थ्यकर भोजनों को प्रमोट करें। 

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याद तो होगा, जब चूल्हे पर भोजन बनता था तो *दादी नानी* पहले उसे चूल्हे की अग्नि में मन्त्र पढ़कर स्वाहा करके भगवान को भोग लगाती थी। ऐसा करने से भोजन की ऊर्जा (एनर्जी) बढ़ जाती थी।


यह *आधुनिक गैस चूल्हे* पर भी सम्भव है, जिसे बलिवैश्व यज्ञ कहते हैं। इसकी सुंदर आसान विधि👉🏻 *परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य* जी ने बतलाई है। जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। अनाज व फल सब्जी को पानी से धोकर बाहर की अशुद्धि दूर होती है। खाद्यान्न के ऊर्जा की शुद्धि हवन व मन्त्र से होती है।


भोजन पकने के बाद एक तांबे की छोटी तश्तरी या कटोरी को गैस की अग्नि में गर्म कर उसमें जो भी सादा या मीठा भोजन बना है। उसकी पांच आहुतियां निम्नलिखित तरीके से देकर उसे भोजन प्रसाद बना दे।


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात स्वाहा इदं "ब्राह्मणेभ्यो" इदं न मम


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात स्वाहा इदं "देवेभ्यो" इदं न मम


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात स्वाहा इदं "ऋषिभ्यो" इदं न मम


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात स्वाहा इदं "नरेभ्यो" इदं न मम


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात स्वाहा इदं "भूतेभ्यो" इदं न मम


इन पाँच आहुतियों से समस्त स्थूल, सूक्ष्म, जीव, वनस्पति , देव व मानव तुष्ट होते हैं। घर मे सुख शांति रहती है।


स्वयं भी इससे लाभान्वित हो व दुसरो को भी यह पत्र शेयर करें। आपके व आपके परिवार के उज्जवल भविष्य व स्वास्थ्य की कामना करती हूँ।


👉🏻 *यूट्यूब वीडियो से बलिवैश्व यज्ञ सीखें*


https://youtu.be/nR7drnW-Nrg


https://youtu.be/g1j5-ltPtnQ


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

9810893335

#SelfiewithDeshiPakwan सेल्फी देशी पकवान के साथ अभियान, अपने देशी पकवानों व व्यंजनों के ब्रांड एम्बेसडर खुद बनो

 #SelfiewithDeshiPakwan

सेल्फी देशी पकवान के साथ अभियान, अपने देशी पकवानों व व्यंजनों के ब्रांड एम्बेसडर खुद बनो


आत्मीय बहनों व भाइयों, युवा बच्चों व किशोर बच्चों


दादी, नानी, बुआ, मासी व मम्मी को फोन करो। दादा, नाना, चाचा, मौसा व पापा से बात करो। उनसे अपने घर के, गांव के, शहर के व राज्य के प्राचीन व्यंजन/पकवान की रेसिपी सीखो, उसे बेहतरीन तरीके से सजाकर उसके साथ सेल्फी खींच कर फेसबुक व व्हाट्सएप पर शेयर करो। अपनी प्राचीन परंपरा, संस्कृति, व्यंजन के ब्रांड एम्बेसडर ख़ुद बनो। तुम असली हीरो हो।


फ़िल्म वाले फेक हीरो हीरोइन है, जो पैसे के लालच में जहर व नशे का विज्ञापन करने में भी नहीं हिचकते, इन्हें त्यागो।


असली हीरो व हिरोइन देशभक्त तुम हो जो भारतीय संस्कृति को बचाने व धरोहर को सम्हालने में लगे हो। देश के असली हीरो व हिरोइन बनो, सेल्फी with देशी पकवान/व्यंजन को प्रोमोट करो।


#proudtobedeshi 


विनम्र प्रार्थी

तुम्हारी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

9810893335

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

देश के उत्थान व सम्मान के लिए.... किसकी राह तू देखे?

 देश के उत्थान व सम्मान के लिए....

किसकी राह तू देखे?

किससे आस तू बांधे?

कौन दूसरे देश से आयेगा?

कौन दूसरे ग्रह से आएगा?


जब तू ही बेसुध है,

और भूला बैठा है निज कर्तव्यों को,

तब कैसे सही नेता चुन सकेगा?

तब कैसे निज बच्चों में राष्ट्र भक्ति गढ़ सकेगा?

फिर कैसे देश के उज्ज्वल भविष्य को,

सुनिश्चित कर सकेगा?


तू देश के वर्तमान का हिस्सा है,

तेरे बच्चे देश के भविष्य का हिस्सा है,

अपने हिस्से की राष्ट्र भक्ति तो दिखा,

कुछ तो देशहित कर, कुछ तो देशहित सोच,

इस मातृभूमि ऋण कुछ तो चुका...


जिस देश मे तूने जन्म लिया,

जिस देश का तूने अन्न खाया,

जिस देश के तूने वस्त्र पहने,

जिस देश में तूने ज्ञान पाया,

उस देश के लिए कर्तव्य निभा,

अपनी भारतीय संस्कृति को बचा,

देश को विश्वगुरु बनाने की राह में आगे बढ़ जा,

राष्ट्र को जगाने वाला राष्ट्रपुरोहित बन जा...


तू या चाणक्य बन या चन्द्रगुप्त बन,

तू या सुभाषचन्द्र बोष बन या आज़ाद बन,

कुछ न कुछ राष्ट्रहित बेहतर कर जा,

कुछ तो राष्ट्र उत्थान के लिए कर जा...


तेरी भारत माता के चरणों में,

अभी भी नशे व भ्रष्टाचार की बेड़ियां है,

अभी भी अनेकों समस्याओं के मकड़जाल हैं,

कोई एक समस्या के समाधान में जुट जा,

कुछ तो राष्ट्रहित करते जा,

लोगों के लिए एक मिशाल बन जा,

कुछ न कुछ राष्ट्रहित कर जा....


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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