Tuesday, 27 December 2022

The law of Conservation of Mass

 The law of Conservation of Mass


इस वैज्ञानिक थ्योरी का सरल भाषा में आध्यात्मिक प्रयोग और विश्लेषण।


अध्यात्म में विभिन्न ग्रथों और गीता में कहा गया है, कि इस संसार में कुछ भी नष्ट नहीं होता मात्र रूप बदलता है। 


आध्यात्मिक उदाहरण - आत्मा का शरीर बदलना, पंचतत्वों का बनना और पुनः उसी में विलीन होना।


आत्मा एक ऊर्जा है, पंचतत्व से बना शरीर स्थूल है। लेक़िन यह स्थूल सूक्ष्म में और सूक्ष्म स्थूल में परिवर्तित हो सकता है।


इसे सांसारिक उदाहरण से समझें- बर्फ़, जल और वाष्प 


यहां स्थूल बर्फ़ तरल द्रव्य जल और जल सूक्ष्म वाष्प में बदल सकता है।


प्रत्येक पदार्थ और ऊर्जा के रूपांतरित होने के नियम अलग अलग हो सकते हैं। किंतु रूपांतरण सबमें सम्भव है।


किसी ने फ़ल खाया - रक्त रस मांस मज्जा में रूपांतरण हुआ। कुछ भाग मल में गया। वही व्यक्ति यदि दफ़न हुआ या उसका मिट्टी में सड़ा वहीं फल का पौधा लगा हुआ है। तो वह उसी को खाद रूप में लेकर पुनः फल का रूपांतरण कर लेगा।


हम सबके लिए यह दिव्य विज्ञान और अध्यात्म का द्रव्यमान संरक्षण और ऊर्जा-पदार्थ का नष्ट न होना और मात्र रूपांतरण का लॉजिक समझना अनिवार्य है।


वैज्ञानिक द्रव्यमान के संरक्षण के नियम के अनुसार, *किसी भी भौतिक या रासायनिक परिवर्तन के दौरान पदार्थ न तो उत्पन्न होता है और न ही नष्ट होता है। हालाँकि, यह एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकता है।* *यदि ऊर्जा न तो उत्पन्न होती है और न ही नष्ट होती है, तो ऊर्जा का अंतिम स्रोत क्या है?* हमारे वर्तमान ब्रह्मांड में ऊर्जा का अंतिम स्रोत बिग बैंग है। 


यह बिग बैंग की थ्योरी और विश्लेषण अधूरा है और मात्र सृष्टि के उद्भव की कोरी कल्पना मात्र है। पाश्चात्य वैज्ञानिक के मात्र कह देने से बिना प्रमाण के कोई बात सिद्ध नहीं होती।


उदाहरण - किसी ने फ़ल खाया - रक्त रस मांस मज्जा में रूपांतरण हुआ। कुछ भाग मल में गया। वही व्यक्ति यदि दफ़न हुआ या उसका मिट्टी में सड़ा वहीं फल का पौधा लगा हुआ है। तो वह उसी को खाद रूप में लेकर पुनः फल का रूपांतरण कर लेगा।


आज तक कोई मशीन नहीं बनी जो फल को डालो और रक्त में बदल दो या प्रक्रिया को पूर्ण कर सके।


पाचन के - विज्ञान ने पास ठोस फल से रक्त बनने का थ्योरी है, किंतु प्रकृति के पास इसका प्रैक्टिकल है।


अध्यात्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। अध्यात्म के पास दृष्टि है किंतु पैर नहीं, विज्ञान के पास पैर है किंतु दृष्टि नहीं। संसार के मेले में घूमने के लिए विज्ञान को अध्यात्म को अपने कंधे पर लेना होगा।


आपकी बहन

श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Monday, 26 December 2022

सत्य घटना - क्या सच में नशे से समस्या सुलझेगी? पात्र के नाम प्राइवेसी हेतु बदल दिए गए हैं

 *सत्य घटना - क्या सच में नशे से समस्या सुलझेगी? पात्र के नाम प्राइवेसी हेतु बदल दिए गए हैं*


(गुड़गांव की एक आई टी कम्पनी में प्रोजेक्ट दीपावली पर लाइव जाना, QA और Developer Team की गर्मा गर्म बहस चल रही है। दो टीम लीड जिसमें एक गायत्री परिवार का आध्यात्मिक व्यक्ति रवि है और दूसरा आधुनिक पाश्चात्य प्रेरित व्यक्ति रमेश है। वर्क लोड दोनो के पास बराबर है, तनाव भी बराबर है। रमेश और उसकी टीम बार बार उठकर सिगरेट पीने जा रहे हैं, वही रवि की टीम कैफेटेरिया में स्वास्थ्यकर बाते करते हुए हंसी मज़ाक कर रहे हैं। मैनेजर महेश प्रोजेक्ट का अपडेट लेने के लिए दोनों टीम के पास जाते हैं।)


मैनेजर - तुम दोनों स्टेट्स रिपोर्ट दो..


रवि - सर, हमें असाइन किया हुआ टास्क हो गया है साथ ही QA Pass भी हो गया है।


रमेश - सर, हमारी तरफ से हमने कर दिया है, मग़र QA Team बार बार छोटी छोटी चीजों को लेकर हल्ला कर रहे हैं, QA Pass नहीं हुआ।


मैनेजर महेश - रमेश कुछ सीखो रवि से, वह अपनी टीम से काम भी ले लेता है, QA team से समझकर सारे Issues भी Resolve कर देता है। न उसकी टीम को उससे समस्या है और न ही QA Team से उसकी कोई बहस होती है। वह तुमसे जल्दी काम करके दुसरो की मदद भी ऑफिस में करता है।


रवि प्लीज़ रमेश की मदद कर दो, मुझे कल क्लाइंट को डेमो देना है।


(रवि अपने स्वभाव अनुसार रमेश की मदद करता है, रमेश तनाव में बार बार उठकर सिगरेट पीने जाता है। )


रवि ने रमेश को टोंकते हुए कहा - कि यदि तुम बार बार ऐसे उठकर बाहर जाओगे तो तुम्हारा काम आज नहीं पूरा हो पायेगा, फिर तुम कल भी मैनेजर से डांट खाओगे।


रमेश - मैं टेंशन रिलीज़ करने के लिए सिगरेट पीता हूँ, क्या तुम देखते नहीं कि कितनी टेंशन है..


रवि - पिछले 15 दिन से मैं तुम्हें देख रहा हूँ, तुम तनावग्रस्त हो, क्या सच में नशे से समस्या सुलझेगी? तुमने तीन पैकेट सिगरेट से कितनी समस्या सुलझाई? यदि सिगरेट इतनी कारगर थी तो तुम आज डांट न खाते? सिगरेट पीने से ब्रह्मज्ञान मिल जाता और समस्या सुलझ जाती...


रमेश - बात तो तुम सही कह रहे हो, समस्या नहीं सुलझती लेक़िन यदि मैं नशा न करूँ तो मैं पागल हो जाऊंगा। तुम बताओ तुम टेंशन के वक्त क्या करते हो? 


रवि - जैसे ही मैं तनाव में होता हूँ या टीम तनाव में होती है, कैफेटेरिया जाता हूँ टीम को लेकर जाता हूँ। सभी से कहता हूँ कि आई टी फील्ड में हमें जॉब यह तनाव झेलने के लिए ही मिली है। फ़ौजी को युद्ध मे और डॉक्टर को हार्ट के ऑपरेशन में रीटेक का मौका नहीं मिलता, एक गलती वहीं मृत्यु। परन्तु हम जीवंत वस्तु पर काम नही करते और हमें रीटेक का मौका मिलता है। QA से लड़ो मत वह हमारी व्यक्ति गलती व्यक्तिगत दुश्मनी में नहीं निकाल रहे। वह प्रोडक्ट को बेहतर बनाने में और Error free बनाने में हमारी मदद कर रहे हैं। हम सब जॉब कर रहे हैं।


तनाव दूर करने के लिए सभी एक ग्लास पानी हाथ में लो, उसे देखो और मन ही मन तीन बार गायत्री मंत्र जपो। भावना करो कि तुम्हारी योग्यता और बुद्धि बढ़ रही है, मन शांत और आंनद में है। तुम कोई भी टेक्निकल समस्या सुलझाने के योग्य बन रहे हो। अब इसे घूंट घूट करके पीओ और गहरी श्वांस लेते रहो।


रमेश तुमने सिगरेट ट्राई कर लिया है, तुम एक बार आध्यात्मिक विधि ट्राई कर लो। जो काम सिगरेट तनाव दूर करने का नहीं कर पाई वह अभिमंत्रित जल अवश्य कर देगा।


(रमेश ने सोचा एक बार इसे भी ट्राई करके देखते हैं। रवि और रमेश अच्छे दोस्त बन गए। रवि ने रमेश को घर मे गायत्री मंत्र जप और उगते सूर्य के ध्यान की विधि बताई, जिससे उसे और अधिक बुद्धि प्रखर करने, यादाश्त बेहतर करने और तनावमुक्त होने में मदद मिले। रमेश ने रवि के बताए विधि का अनुसरण किया, प्रोजेक्ट समय पर पूरा हुआ। धीरे धीरे रमेश ने नशा छोड़ दिया। अब वह अपनी टीम के साथ तनाव के समय सिगरेट नहीं पीता अपितु हंसते मुस्कुराते गायत्री मंत्र अभिमंत्रित जप सिप करके पीता है और प्रशन्नचित्त रहता है) ।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

बेहोश से होश की यात्रा.. कैसे एक वैज्ञानिक ने सिगरेट छोड़ दिया..

 बेहोश से होश की यात्रा.. कैसे एक वैज्ञानिक ने सिगरेट छोड़ दिया..


एक वैज्ञानिक,

जो था चैंन स्मोकर,

रिसर्च करता,

साथ साथ स्मोक करता...

वो बड़ी अच्छी तरह जानता था,

सिगरेट स्वास्थ्य के हानिकारक है,

फ़िर वह सोगरेट छोड़ नहीं पाता था...


एक दिन हाथ से सिगरेट पीते हुए,

वह न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था,

उसमें एक खबर छपी थी कि कैसे एक जहाज,

समुद्र में मार्ग भटक गया,

एक निर्जन टापू में पहुंच गया,

कैसे भोजन पानी ख़त्म हुआ,

कैसे लोगों ने मछली और वन्य जीवों को खाकर,

जैसे तैसे जीवन बचाया...


पढ़ते पढ़ते न्यूज,

वैज्ञानिक ठिठक गया,

जब उसने जहाज के कप्तान का,

इंटरव्यू पढ़ा,

जहाज का कप्तान ने कहा,

इन नशेड़ियों की मूर्खता से,

हम कभी वापस ही न आ पाते,

हमारी जहाज में 90% स्मोकर थे,

वे बिना सिगरेट के पगला गए,

जहाज की रस्सियों को काट काट कर,

सुलगा के पीने लगे,

हमने कहा मूर्खता मत करो,

बिना रस्सी के जहाज तट से बन्ध न सकेगा...


स्मोकर पगला गए थे,

समझाने से समझ न रहें थे,

प्रेस वालों ने कहा,

अरे रस्सी से स्मोक करने से नशा थोड़ी न होता है,

कप्तान ने कहा,

मनुष्य की बुद्धि नशे की तलब लगने पर,

कुत्ते सी हो जाती है,

जैसे हम सब जानते हैं कि 

सुखी हड्डी में कोई रस नहीं होता,

कुत्ता जब उसे चबाता है,

तो जगह जगह उसके मुंह मे घाव हो जाते हैं,

उन्ही घाव से रक्त रिसता है,

कुत्ते को स्वाद मिलता है,

कुत्ता सोचता है कि यह रक्त हड्डी से निकल रहा है,

वस्तुतः वह रक्त उसका अपना ही होता है...


नशेड़ी मनुष्य भी,

कुत्ते की तरह मूर्ख होता है,

वह सोचता है कि वह नशे को पी रहा है,

वस्तुतः नशा उसे पी रहा होता है,

नशे का धुंआ उसके दिमाग की नसें सुन्न करता है,

और फेफड़े को जहरीले धुएं से भरता है,

इस प्रक्रिया में उसे भ्रम और दर्द होता है,

नशेड़ी इसे ही आनंद समझता है,

कुत्ता हड्डी और नशेड़ी सिगरेट छोड़ नहीं पाता है..


वैज्ञानिक जैसे बेहोशी से होश में आया,

दर्पण में स्वयं को देख पूँछा,

क्या मैं कुत्ते सा मूर्ख हूँ?

क्या मेरी आत्मा इस सिगरेट से कमज़ोर है?

उसने आधी पी हुई सिगरेट को बुझा दिया,

उस सिगरेट पर घृणा से थूक दिया,

किचन से बटर पेपर उस ऐश ट्रे पर चढ़ा दिया,

उस पर पेन से लिखा,

यदि मैं जहाज यात्रियों सा मूर्ख हूँ,

कुत्ते सा गया गुजरा हूँ,

यदि मेरी आत्मा हार गई तो,

यह थूकी हुई सिगरेट उठाऊंगा,

पियूँगा और स्वयं की पराधीनता स्वीकार लूंगा...


दिन बीते साल बीते,

30 वर्ष बीत गए,

वैज्ञानिक सफलता का शिखर चढ़ता गया,

लेकिन उसने कभी फिर सिगरेट न छुआ....

वह जब भी ऐश ट्रे देखता,

स्वयं को विजेता अनुभव करता,

खुद से कहता,

मैं मनुष्य हूँ कुत्ता नहीं,

मेरी आत्मा कमज़ोर नहीं,

मैं इस सिगरेट से जीत गया,

इस सिगरेट का नशा छूट गया।


आप मे से जितने लोग सिगरेट नहीं छोड़ पा रहे,

स्वयं से पूँछे क्या कुत्ते की तरह गए गुजरे हो?

क्या आत्मा इतनी कमज़ोर है कि,

सिगरेट से हार गई,

सिगरेट तुम्हें पी रहा है,

तुम लाचार हो,

स्वयं को तबाह कर रहे हो,

क्या वैज्ञानिक की तरह तुम जाग सकते हो?

क्या तुम्हारे संकल्प में बल है?

क्या तुम इंसान हो,

विवेक अपनाकर नशा छोड़ सकते हो?


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

अखण्डजप 12 घण्टे - सुबह 6 से शाम 6 बजे तक, दिनांक 27 दिसम्बर 2022, मंगलवार

 *अखण्डजप 12 घण्टे - सुबह 6 से शाम 6 बजे तक, दिनांक 27 दिसम्बर 2022, मंगलवार*


सभी को प्रणाम, बड़ो को चरण स्पर्श और छोटों को प्यार,


आज आपसे कुछ गायत्री मंत्र जप मांगने हेतु अनुरोध कर रही हूँ।


*कल 27 दिसम्बर 2022 मंगलवार को मेरा 🎂 जन्मदिन है*, और 15 जनवरी 2023 को मुझे लोकहित गुरु कृपा और आपके शुभ आशीर्वाद से 💐 *वेबसाइट*💐 निम्नलिखित लॉन्च करनी है। 


तप के बिना कोई भी सेवा कार्य सफल नहीं होता, तपबल से सृष्टि, तपबल से पालन पोषण और तपबल से ही विध्वंस होता है।


मेरे पास इतनी तप ऊर्जा नहीं है कि इतने बड़े लोकहित प्रोजेक्ट को स्वयं लॉन्च कर सकूं इसलिए आपके जप-तप के सहयोग की आवश्यकता है।


जीवित रहते हुए भी और मेरे मरने के बाद भी अनवरत लोगों की समस्याओं का समाधान इस वेबसाईट के माध्यम से होते रहे यही इच्छा है।


अतः यदि आप अपने जप तप शक्ति का कुछ अंश दे सकें और कल अखण्डजप में कुछ समय डोनेट कर सकें तो अपना नाम, शहर और समय कब से कब तक गायत्री मंत्र जप करेंगे मुझे व्हाट्सएप कर दें (9810893335 - sweta chakraborty). आप और हम तपबल लगाएंगे तो गुरु कृपा से चमत्कार अवश्य होगा, सफलता अवश्य मिलेगी। जो जप दान नहीं कर पा रहे किन्हीं कारण से तो वेबसाइट की सफलता हेतु प्रार्थना कर दें।


New website URL:-

https://samadhanjaano.in/

https://samadhanpaao.com/


निम्नलिखित मुख्य केटेगरी सोची है, कृपया बताएं यदि कुछ और जोड़ना या घटाना हो।


1- आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक समाधान

        a- मानसिक समाधान

             अ- एकाग्रता में कमी

              ब- मानसिक थकान

              स- ध्यान और प्राणायाम

              द- बुद्धि का व्यायाम

              क- बुरी आदत से छुटकारा कैसे पाएं

          ख- नशे से छुटकारा कैसे पायें

          ग- मन को ऊर्जावान कैसे बनाएं

          घ- होशपूर्वक कैसे जियें

           ड़- मनोरोग 

                 - Over thinking

                 - OCD

                 - Depression

                 - भ्रम

                 - शक

        b- व्यक्तिगत समाधान

            अ- पढ़ाई से सम्बंधित

             ब- ब्रेकअप - दिल टूटना

             स- प्रेम समस्या

             द- व्यक्तित्व विकास

             क - व्यक्तित्व निखार

        c- पारिवारिक समाधान

            अ - गृह कलह

            ब- प्रियजन की मृत्यु शोक

             स- सामंजस्य समस्या

             द- जीवनसाथी की चरित्रहीनता

            स- अन्य क्लेश

            

        d- आर्थिक समस्या

        e - स्वास्थ्य समस्या 

        f- घरेलू उपचार

                

2- संस्कार और निर्माण

      a- बाल संस्कार शाला

          अ- बाल मनोविज्ञान

          ब- बाल दिनचर्या

          स- भावनात्मक विकास

          द- बुद्धि का विकास

          ई- व्यक्तित्व विकास

      b- गर्भ संस्कार 

           अ- गर्भिणी का आहार

           ब- गर्भ संवाद

           स- गर्भिणी की दिनचर्या

3- त्यौहार और पूजन विधि

        a- दैनिक साधना

        ब- भजन

        स- त्योहार विशेष

        द- व्रत के आहार

4- Book Summary

         a- Written by Gurudev

         b- Written by Me

         C- Written by Others

5- Motivational

        A- Motivational Story

       B- Motivational Talk

       C- Motivational Quote

6- Greetings

       A- Marriage

       B- Birthday

       C- Festival

       D- Others

7- Question & Answers

8- About us

9- Contact us


पुनः प्रणाम


🙏🏻आपकी बहन 

श्वेता चक्रवर्ती

9810893335

Saturday, 24 December 2022

कलियुग की कठिनाई और संकटो में स्वयं के जीवन की बाधाओं को पार करने और समर्थ बनने हेतु दैनिक साधना मंत्र जप

 *कलियुग की कठिनाई और संकटो में स्वयं के जीवन की बाधाओं को पार करने और समर्थ बनने हेतु दैनिक साधना मंत्र जप*


*गायत्रीमंत्र जप* (नित्य 324 बार(तीन माला))


ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात


*सर्व बाधा निवारण हेतु* (नित्य 24 बार)-


सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न शंसयः॥


*शिव सरंक्षण प्राप्ति हेतु* (नित्य 24 बार)


ॐ जूं स: माम् पालय पालय स: जूं ॐ


*सुखसौभाग्य जागरण हेतु* (नित्य 24 बार)


ॐ जूं स: माम् भाग्योदयम् कुरु कुरु स: जूं ॐ

*रोगमुक्ति हेतु* (नित्य 108 बार)


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Friday, 23 December 2022

प्रश्न - कितना भी अच्छा और मेहनत का कार्य कर लो, घर परिवार में सबके लिए करो। हर बात के लिए दोषी मुझे ही ठहरा देते हैं। मैंने किसी के साथ कुछ बुरा नहीं किया फिर मुझे ही दुःख क्यों मिलता है?

 प्रश्न - कितना भी अच्छा और मेहनत का कार्य कर लो, घर परिवार में सबके लिए करो। हर बात के लिए दोषी मुझे ही ठहरा देते हैं। मैंने किसी के साथ कुछ बुरा नहीं किया फिर मुझे ही दुःख क्यों मिलता है?


उत्तर- कलियुग में लोगों से सतयुगी अच्छे व्यवहार की अपेक्षा व्यर्थ है।


हिरण दिल का अच्छा है कभी किसी का मर्डर नहीं किया तो क्या इस पुण्यफल के कारण शेर उसका शिकार नहीं करेगा????


हिरण को दिल के अच्छे होने के साथ साथ स्वयं की जीवन रक्षा हेतु चतुरता और तेज दौड़ने की प्रैक्टिस अनिवार्य है।


तुम्हें नित्य अकबर बीरबल, चाणक्य, और तेनालीराम का एक वीडियो देखना चाहिए।


उनसे सीखना चाहिए कि तानाशाह को कैसे हैंडल करे। उलझन से कैसे निकले, विपरीत परिस्थितियों से कैसे उबरें।


 कलियुग में पत्नी और चतुर मंत्री की भूमिका निभानी न आई तो जीवन बेचारा और दुखियारा हो जाएगा।


 अधिकार और भीख में अंतर समझो, अधिकार लिया जाता है और भीख दिया जाता है।


यदि तुम किसी से कुछ अपेक्षित व्यवहार और सम्मान चाह रही हो, और वह नहीं मिल रहा। इसका अर्थ यह है कि आपने अपनी बुद्धि का सही प्रयोग करके यह साबित नहीं किया कि आप किस प्रकार के व्यवहार की अधिकारिणी हैं।


मात्र विवाह कर लेने मात्र से अधिकार नहीं मिलते, अधिकार पाने हेतु कुशल चतुर मंत्री की तरह बुद्धि दौड़ानी पड़ती है।


 इस संसार में कुछ भी बिना मेहनत नहीं मिलता, न प्यार और न ही सम्मान🙏🏻


यदि आपकी देवरानी या जिठानी को उनके पति अधिक गिफ्ट देते हैं, उनको लोग ज्यादा प्यार करते हैं। आपके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है और आपको आपके पति गिफ्ट नहीं देते। तो इसकी गहराई में जाकर देखोगे तो पाओगे कि आपकी देवरानी और जिठानी की चतुर बुद्धि आपसे तेज है। अब अगर आपकी बुद्धि की चाकू कमज़ोर और उनकी बुद्धि की चाकू तेज है। तो विजय श्री उन्हें ही मिलेगी।


पति का रिमोट न ढूढें, आपके हिसाब से उसका व्यवहार आपकी इच्छानुसार नहीं चलेगा। गिफ़्ट और भीख एक ही है, यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। 


तानाशाह को हैंडल करना सीखिए, चतुर मंत्री बनिये। 


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Thursday, 22 December 2022

प्रश्न - बर्न आउट सिंड्रोम क्या है? कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार क्या है? क्या गायत्री मंत्र जप और ध्यान से इसको क्योर कर सकते हैं?

 प्रश्न - बर्न आउट सिंड्रोम क्या है? कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार क्या है? क्या गायत्री मंत्र जप और ध्यान से इसको क्योर कर सकते हैं?


उत्तर- मनोवैज्ञानिक समस्या के रूप में 20% लोग बर्न आउट सिंड्रोम से ग्रस्त हैं। यह मर्ज तीन स्तरों पर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है- अत्यधिक थकान, काम से ऊबना, कार्यक्षमता और आत्मविश्वास में कमी के कारण ऑफिस में कमजोर परफॉर्मेंस आदि। इन बातों का लोगों के निजी और प्रोफेशनल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है।


*बर्नआउट सिंड्रोम के कारण*

1- अपनी रूचि के अनुकूल करियर का चुनाव न करना, या योग्यता अधिक और मजबूरी में कम स्तर का काम करना

2- कार्यस्थल पर खराब माहौल का होना

3- तनावपूर्ण पारिवारिक-सामाजिक संबंध भी ऐसी समस्या के लिए जिम्मेदार होते हैं।

4- कोई बड़ी आर्थिक परेशानी या कर्ज के बोझ के कारण भी व्यक्ति को बर्न आउट सिंड्रोम हो सकता है।


*बर्न आउट सिंड्रोम के लक्षण*

- हमेशा ऑफिस की बातों को लेकर मन में बेचैनी रहना।

- पर्याप्त नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होना।

- उदासी और डिप्रेशन फील होना।

- ऑफिस पहुंचते ही तनाव का बढ़ना।

- कार्य करने में आलस आना

- प्रोडक्टिविटी में गिरावट

- आत्मविश्वास में कमी

- अति परफेक्शन की आदत

- किसी भी काम को करने पर गहरी असंतुष्टि 


*बर्न आउट सिंड्रोम से कैसे करें बचाव*


*सांसारिक उपाय*


- अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करें ताकि हमेशा अच्छा और पॉजिटिव सोच सकें।

- अपने वर्क स्टेशन को कुछ मोटिवेशनल कोट्स से सजाएं।

- पर्याप्त नींद लें। 7-8 घंटे की सुकून भरी नींद बहुत जरूरी है।

- दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने-जुलने का समय जरूर निकालें।

- सोशल मीडिया की निगेटिव से दूर रहें, जो तभी पॉसिबल होगा जब आप इसका कम से कम इस्तेमाल करेंगे।

- अपनी पसंदीदा चीज़ों को करने पर फोकस करें। कुछ नया सीखें जिससे दिमाग व्यस्त रहे।  


*आध्यात्मिक उपाय*


1- नित्य 20 मिनट गायत्री मंत्र जप, चन्द्र गायत्री मंत्र जप और पूर्णिमा के चांद के ध्यान से बर्न आउट सिंड्रोम स्वतः नियंत्रित होने लगता है।

2- गायत्री मंत्र जप और ध्यान से हैप्पी हार्मोन्स के निकलने से दिमाग शांत, रिलेक्स और तरोताज़ा महसूस करता है।

3- गायत्री मंत्र जप से सोचने की कला आती है तो व्यक्ति कार्य को व्यवस्थित और अच्छे तरीके से कर पाता है। समय प्रबंधन में मदद मिलती है।


*रिसर्च रेफरेंस*:-

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय उत्तराखंड की रिसर्च में पाया गया कि गायत्री मंत्र और यज्ञ से बर्न आउट सिंड्रोम को नियंत्रित किया जा सकता है।


डी एम वायनाड आयुर्विज्ञान की शोध में पाया गया कि गायत्री मंत्र से तनाव को नियंत्रित और संज्ञानात्मक फंक्शन को बेहतर किया जा सकता है।


जर्नल ऑफ इंडोनेशिया नेशनल नर्स असोसिएशन की रिसर्च अनुसार गायत्री मंत्र जप से बर्न आउट सिंड्रोम को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Thursday, 15 December 2022

To overcome tension - Think on paper

 To overcome tension - Think on paper


तनाव से बाहर आने के लिए तनाव के विचारों को पेपर पर लिखकर सोचो


एक स्वस्थ और सफल व्यक्ति के दिमाग की 24 घण्टे की उसके दिमाग मे उठ रहे विचारों की रिकॉर्डिंग करके सुनाया जाय तो सब उसे पागल कह देंगे।


पागल व्यक्ति बस मन की बकबक को मुंह से सुना देता है, और जो पागल नहीं है वह उन विचारों को दिमाग में तो चलाता है मगर मुंह से बाहर नहीं बोलता।


जब दिमाग में अनियंत्रित विचारों का पागलपन चल रहा हो तो व्यक्ति का तनावग्रस्त होना आम बात है।


फिर क्या करें - 


1- नेत्रबन्द कर यूट्यूब पर गायत्री मंत्र किसी अच्छी आवाज़ में चलाकर 5 मिनट गहराई से सुनें।


2- कम से कम 5 बार लंबी गहरी स्वांस नाक से लें और मुंह से छोड़े।


3- पेन कॉपी उठाएं और सोचें कि कौन से विचार तनाव दे रहे हैं, उसे लिख डाले।


4- जो विचार मन को तनाव दे रहा है इसका अर्थ यह है कि वह जीवन में अभी घटा नहीं है। कल्पना में भय तभी है जब हक़ीक़त में वह नहीं हुआ है।


उदाहरण - विद्यार्थी का एग्जाम के बाद रिजल्ट हेतु टेंशन लेना


जॉब व्यवसाय वालों का किसी कार्य के परिणाम को लेकर टेंशन लेना


5- विद्यार्थी/जॉब-व्यवसायी के रिजल्ट के तीन परिणाम हो सकते हैं - एक वह जो जैसा चाहता है, दूसरा ठीक ठाक और तीसरा फेल होना


6- अब विद्यार्थी/जॉब-व्यवसायी यदि हिम्मद करके तीनो कंडीशन में करना क्या है? मेरा प्लान ऑफ एक्शन क्या होगा। पेपर में लिख के दिमाग मे क्लियर कर ले तो तनाव खत्म हो जाएगा।


प्लान ऑफ एक्शन का उदाहरण - 


मेरे हिसाब से जैसा मैं चाहता हूँ यदि वह रिजल्ट आया तो मैं अमुक कार्य करुंगा।


यदि ठीक ठाक एवरेज परिणाम आया तो मैं मेरा प्लान ऑफ एक्शन अमुक होगा।


यदि फेल हुआ तो किससे कितनी बार सॉरी बोलना है, किससे पीटना है, किससे कितनी गाली मिल सकती है,लेखा जोखा बना लिया। अब नई शुरुआत बड़े स्तर पर कैसे करनी है, उन भूलो को कैसे ठीक करना है और आगे कैसे बढ़ना है, उसे लिख लो। 


खिलाड़ी एक मैच हारता है तो दूसरे मैच की तैयारी दुगुनी मेहनत करके जितने की कोशिश करता है। ऐसे ही एक एग्जाम फेल हुआ तो पुनः एग्जाम की तैयारी में डबल कोशिश लगा दो। यदि ट्रैक बदल कर कुछ और करना है तो उसकी प्लानिंग कर लो।


Show must go on - जीवन चलते रहना चाहिए, उतार चढ़ाव तो आता रहेगा।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Wednesday, 14 December 2022

प्रश्न - बोरियत, उबाऊपन, Low feeling, किसी के इग्नोर करने पर जब दिल हर्ट हो, घबराहट हो, मृत परिजन की याद आये तो उसे हैंडल करने के लिए उस समय क्या करें?

 प्रश्न - बोरियत, उबाऊपन, Low feeling, किसी के इग्नोर करने पर जब दिल हर्ट हो, घबराहट हो, मृत परिजन की याद आये तो  उसे हैंडल करने के लिए उस समय क्या करें?


उत्तर- समस्या जहां है समाधान भी वहीं है।


पेन कॉपी लो, उसमें तीन कॉलम बना लो। क्रमशः - कॉलम 1- समस्या/विचार/कारण , कॉलम 2- क्या मैं इसे ठीक कर सकती हूँ- हाँ/नहीं, कॉलम 3- प्लान ऑफ एक्शन


मन में उठ रही चिंताओं, घबराहट के कारण, विचार, घटना इत्यादि जो कुछ भी है उसे एक के बाद दूसरी लाइन में लिखते चलो।


फिर उन्हें देखकर जो आपके हाथ में नहीं है अर्थात दूसरे व्यक्ति का व्यवहार, आप जो उससे चाहते हैं। उसके सामने वाले प्लान ऑफ एक्शन में लिखिए *वह इंसान है टीवी नहीं, अतः मेरे हिसाब से व्यवहार नहीं करेगा/करेगी* । अतः वह जैसा है उसे वैसा हैंडल करने के लिए मुझे स्वयं में क्या बदलाव लाना चाहिए उसे लिखें।


किसी प्रिय मृतजन की बहुत याद आ रही है, या कोई दिल तोड़कर ब्रेकअप कर गया/गयी।

उसके सामने वाले प्लान ऑफ एक्शन में लिखिए *जिसे मेरी चिंता होती वह ब्रेकअप धोखा धड़ी करता नहीं, फिर उसके लिए क्यों रोना*


*मैं कितना भी सर पटक पटक रो लूँ जाने वाला जो मृत्यु के कारण गया वह वापस नहीं आने वाला, पिछले जन्म के परिवार जन जब मुझे इस जन्म में याद नहीं तो जिसकी मृत्यु हुई है वह भी हमें नए जन्म में याद रखने वाला नहीं। मेरे रोने से न जॉब-व्यवसाय चलेगा और न ही कोई मुझे ज्यादा रोतलु देख झेलेगा। मेरे परिवार जन की मृत्यु कोई नई घटना नहीं है, यह मृत्यु लोक है जब जिसका समय आएगा उसे जाना होगा, एक दिन मुझे भी देह त्याग करना होगा* । अतः जो चला गया उसके बिना कैसे जीना है मुझे सीखना है, मुझे स्वयं में क्या बदलाव लाना चाहिए उसे लिखें। 


ऐसे ही समस्त समस्या लिखें और उनका प्लान ऑफ एक्शन लिखें। जब क्लियर दिमाग होगा और अति भावुकता को लॉजिकल दिमाग आपका सम्हालने लगेगा। तब आप अच्छा महसूस करेंगे।


जीवन की आधी ग्लास सुख से भरी और आधी ग्लास दुःख से भरी है, किस ओर देखना है यह तो आपको सोचना है।


स्वयं के जीवन को विजेता की तरह सम्हालना है या रोतलु बनकर बिताना है, यह निर्णय आपका है। एक ही परिस्थिति किसी को विजेता(winner) और किसी को तोड़कर बिखेरकर (looser) बना देती है। 


चयन और नीयत आपकी आपका भविष्य और नियति तय करेगा।


थोड़ा कॉमेडी, अच्छे साहस भरे गाने, हनुमान चालीसा - शिव तांडव स्त्रोत भी मन को बदलने के लिए उपयोग में ले लें।


मन मे ऊर्जा बढ़ाने के लिए ध्यान, अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय और गायत्री मंत्र जप करें।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday, 13 December 2022

अखिल विश्व गायत्री परिवार को समझने के लिए

 सभी को प्रणाम🙏🏻


अखिल विश्व गायत्री परिवार को समझने के लिए आपको इस परिवार के संरक्षण और संस्थापक का संक्षिप्त परिचय और उनकी योजना को समझना होगा।


 *युगदृष्टा हमारे युगऋषि परमपूज्य गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का संक्षिप्त जीवन दर्शन*


युगदृष्टा का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसके दूरदृष्टि हो, जिसके अंदर युग की समस्याओं को समझने, देखने व उसका समाधान देने की क्षमता हो।


युगऋषि का अर्थ है ऐसा ऋषि जिन्होंने अपना समस्त जीवन युगनिर्माण हेतु व समाजउद्धार हेतु तपोमय रिसर्च हेतु लगा दिया हो।


उन्होंने देखा कि मनुष्य की गलत सोच और विचार ही उसके गलत कार्य और दुःखमय जीवन की जड़ है, बिखरे समाज का कारण है। अतः उन्होंने समस्या की जड़ विचार पर कार्य करने की ठानी और विचार क्रांति योजना का शंखनाद किया। 


हमारे गुरुदेव युगदृष्टा व युगऋषि है, जिन्होंने वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु युगानुकूल अध्यात्मिक विधियों, कर्मकांड व तकनीक का सरलीकरण किया। जिन्होंने अध्यात्म को वर्तमान जीवन के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।


युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म २० सितम्बर १९११  और महाप्रयाण ०२ जून १९९० को हुआ। भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की। प्रारंभिक जीवन मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,  उन्होंने 24 लाख के 24 ग़ायत्री महापुरुश्चरण अपने हिमालय वासी गुरु के कहने पर किया व उस तप ऊर्जा से प्राचीन धर्म ग्रंथो का पुनरूत्थान किया। देश की आज़ादी के बाद लोगों को मानसिक ग़ुलामी से आज़ाद करने में जुट गए। अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी, युगऋषि व दृष्टा का समन्वित रूप था। ४ वेद,१०८ उपनिषद, ६ दर्शन,२० स्मृतिया और १८ पुराणों के भाष्यकार । 3200 से अधिक विषयों पर पुस्तकें लिखी।


मनुष्य में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण अर्थात सतयुग की वापसी यह उनका जीवन लक्ष्य था। इस लक्ष्य की आपूर्ति हेतु उन्होंने "युगनिर्माण योजना का शंखनाद" किया। 


*युगनिर्माण योजना एवं विचार क्रांति अभियान हेतु तीन प्रमुख कार्यक्रम दिए* - व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण


👉🏻 *व्यक्ति निर्माण* हेतु सूत्र दिया - उपासना, आत्म साधना, लोक आराधना, समयदान व अंशदान। विभिन्न संस्कार के माध्यम से सकारात्मक मनोवृत्ति गढ़ना।

👉🏻 *परिवार निर्माण* - इसके लिए पारिवारिक स्तर पर- सामूहिक उपासना, सामूहिक स्वाध्याय, परिवार में संस्कार परम्परा की स्थापना, पारिवारिक गोष्ठी, विवाहितों के विवाह दिवस संस्कार आदि के माध्यम से परिवार निर्माण किये जाने की प्रक्रिया चल रही है।

👉🏻 *समाज निर्माण* - समाज निर्माण हेतु अभियान

(१) दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन

(२) सत्प्रवृत्ति संवर्द्धन।


धर्म तन्त्र आधारित विविध माध्यमों से लोक शिक्षण करना


*इस युगनिर्माण योजना को सप्त आंदोलन व सतसूत्रीय कार्यक्रम मे विभाजित किया।*


गुरुदेव ने युग परिवर्तन के लिए युग निर्माण योजना के तहत सात क्रांतियों का आगाज किया जो सप्त क्रांतियों के नाम से विख्यात हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि अगर पूरी तरह इनका पालन किया जाए, तो भारत को फिर से जगत गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये सात क्रांतियां हैं-

👉🏻 *शिक्षा एवं विद्या आंदोलन* - बाल संस्कार शाला, प्रौढ़ शिक्षा शाला, रात्रिकालीन पाठशाला, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा, व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर, कन्या शिविर के द्वारा संस्कार एवं संस्कृतिजन्य शिक्षा हेतु प्रयास। गुरूदेव कहते थे कि शिक्षा वह सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर व्यक्ति निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। आज देश में शिक्षा तो है, लेकिन विद्या यानी संस्कार नहीं है। गुरुदेव से शिक्षा के साथ विद्या का समन्वय करने का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। उन्होंने शिक्षा को संस्कार मूलक बनाने की बात कही। इसके लिए संस्कार शालाएं और भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसी मूल्यपरक शिक्षा को आगे बढ़ाने को कहा।

👉🏻 *साधना आंदोलन*- गुरुदेव साधना को भी एक आन्दोलन मानते थे। आज के समय में जब हर जगह आसुरी शक्तियां अपने पांव पसार रही हैं, ऐसे में साधना के जरिए ही इनसे मुकाबला किया जा सकता है। साधना यानी अपनी इंद्रियों को बस में करना। अपनी साधक प्रवृत्ति को विकसित करना। इसके तहत गुरुदेव ने साधना के तीन आयाम बताए। उपासना यानी ईश्वर के समीप बैठना, साधना यानी अपने मन को नियंत्रित करना और आराधना यानी ईश्वरीय गुणों को धारण करना।

👉🏻 *स्वास्थ्य आंदोलन* - कहा जाता है कि स्वास्थ्य अगर खराब है, तो इंसान कुछ भी नहीं कर सकता। इसलिए इस क्रांति के तहत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कहा। इसके तहत गायत्री परिवार लोगों को प्राकृतिक दिनचर्या अपनाने, योग के ​जरिए स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों पर जोर दिया जाता है। स्वास्थ्य शिविर, योग शिविर, घर-घर योग व स्वास्थ्य के सूत्रों की स्थापना, गोष्ठियों के माध्यम से आहार-विहार के प्रति जागरूकता, आयुर्वेद का प्रचार एवं स्थापना, बीमार पड़ने के पहले ही उपचार के सूत्र हृदयंगम कराना।

👉🏻 *स्वावलम्बन*- गुरुदेव कहा करते थे कि बेरोजगारी सभी समस्याओं की जड़ है। इसके लिए उन्होंने हर व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाने पर जोर दिया। उनके इस मिशन के तहत युग निर्माण मिशन ने कुटीर उद्योगों को बढ़ाने के लिए नागरिकों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया। इसके अंतर्गत खादी ग्रामोद्योग, गोपालन, साबुन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, प्लास्टिक मोल्डींग, स्क्रीन प्रिंटिंग जैसे कार्य सिखाए जाते हैं।

नारी जागरण- नारी को समर्थ व सशक्त बनाने हेतु प्रयास करना। उसे व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण के कार्य में प्रशिक्षित करके उसकी प्रतिभा व योग्यता का पूरा लाभ उठाना इस हेतु उसे संस्कारगत शिक्षा, गोष्ठियों, सभा सम्मेलनों के माध्यम से आगे लाना। उसे यज्ञ संस्कार व रचनात्मक कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपना। गुरुदेव कहते थे कि नारियां परिवार की धुरी हैं। देश में हजारों महिला मंडलों और नारी संगठनों को स्थापित किया गया है।

👉🏻 *पर्यावरण संरक्षण*- आज पर्यावरण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। आज अगर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य नहीं किया गया, तो धरती नष्ट हो जाएगी। इसके लिए युग निर्माण योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पर्यावरण बचाने हेतु पौधे लगाना, नर्सरी तैयार करना, स्वच्छता सफाई अपनाना, पॉलीथीन का बहिष्कार, डिस्पोजेबल वस्तुओं का विरोध करना, वायु, जल, जैविक खाद का प्रयोग, भूमि का संरक्षण। जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

👉🏻 *व्यसन मुक्ति व कुरीति उन्मूलन आन्दोलन* - जिस देश में कुरीतियाँ हों, वह देश कभी विकास नहीं कर सकता है। इसके लिए गुरुदेव ने कुरीति उन्मूलन क्रांति का आगाज किया। इसके तहत दहेज, खर्चीली शादी, मृत्युभोज, अंधविश्वास, नशा आदि के उन्मूलन के लिए उन्होंने कार्यक्रम चलाए, जिन्हें आज भी उनके कार्यकर्ता चला रहे हैं। इसके लिए रैलियों, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक के जरिए आम जन मानस में जागरुकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।


*गुरुदेव के प्रमुख विचार-विचार क्रांति अभियान* -


1- हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, हम बदलेंगे युग बदलेगा। यदि परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा बनो।

2- अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।

3- अवसर तो सभी को जिन्‍दगी में मिलते हैं, किन्तु उनका सही वक्‍त पर सही तरीके से इस्‍तेमाल कुछ ही कर पाते हैं।

4- इस संसार में प्यार करने लायक दो वस्तुएँ हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।

5- जब हम ऐसा सोचते हैं की अपने स्वार्थ की पूर्ति में कोई आँच न आने दी जाय और दूसरों से अनुचित लाभ उठा लें तो वैसी ही आकांक्षा दूसरे भी हम से क्यों न करेंगे।

6- जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं।

7- विचारों के अन्दर बहुत बड़ी शक्ति होती है । विचार आदमी को गिरा सकतें है और विचार ही आदमी को उठा सकतें है । आदमी कुछ नहीं हैं ।

8- लक्ष्य के अनुरूप भाव उदय होता है तथा उसी स्तर का प्रभाव क्रिया में पैदा होता है।

9- लोभी मनुष्य की कामना कभी पूर्ण नहीं होती।

10- मानव के कार्य ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।

11- अव्यवस्तिथ मस्तिष्क वाला कोई भी व्यक्ति संसार में सफल नहीं हो सकता।

12- जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मा विश्वास उतना ही ज़रूरी है ,जितना जीने के लिए भोजन। कोई भी सफलता बिना आत्मा विश्वास के मिलना असंभव है।

13- हम जैसा सोचते हैं, वैसा करने लगते हैं, एक दिन वैसे बन जाते हैं।विचार कर्म के बीज हैं।

14- नर और नारी एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु पूरक हैं। 

15- ग़ायत्री मन्त्र कलियुग की कामधेनु है, इसकी साधना से सांसारिक एवं आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।

16- यज्ञ एक समग्र उपचार पद्धति है, एकल व समूह में समस्त रोगों की चिकित्सा इससे सम्भव है। ब्रह्माण्ड का पोषण व संतुलन यज्ञ से सम्भव है।

17- अच्छी पुस्तकें जीवंत देवता है, जिनके स्वाध्याय से आत्मा प्रकाशित होती है और सही मार्गदर्शन मिलता है। यह हमारी सच्ची मित्र होती है।

18- मनुष्य के भीतर देवत्व का बीज है, जिसे उपासना, साधना व आराधना करके मनुष्य स्वयं के भीतर देवत्व को उभार सकता है।


प्रत्येक मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण यही गायत्री परिवार का विजन व मिशन है। युग निर्माण जितना बड़ा इसका नाम है उतना ही बड़ा काम है। व्यक्तियों का समूह संगठन, ग्राम का समूह -शहर, शहर का समूह- राज्य, राज्य का समूह देश, देशों का समूह विश्व, विश्व जिस समय में अस्तित्व में है उस काल खंड को युग कहते हैं। युग अच्छा या बुरा इस बात पर निर्भर करता है कि उस काल खंड में लोगों का चरित्र-चिंतन-व्यवहार किस तरह की सोच पर टिका है। समूह का सद्चिन्तन से प्रेरित सद्व्यवहार व सत्कर्म ही सतयुग है, समूह का विकृत दुश्चिंतन से प्रेरित दुर्व्यवहार व दुष्कर्म ही कलियुग है। गायत्री परिवार विश्व की सोच को सद्चिन्तन में बदलने हेतु एक क्रांति कर रहा है - जिसे विचारक्रांति अभियान कहते हैं। बहुत बड़ी युगनिर्माण योजना है इसका स्वरूप एवं कार्यक्रम है जो सप्त आन्दोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम में वर्णित है।


महिला शशक्तिकरण के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास किया, स्त्रियों को ग़ायत्री मन्त्र व यज्ञ का अधिकार दिया। ग़ायत्री परिवार में 65% स्त्रियां यज्ञ पुरोहित है। महिला जागरण के क्षेत्र में अप्रतिम उदाहरण है। स्त्रियों के मनोबल को ऊंचा रखने व उन्हें परिवार व समाज मे बराबर का हक दिलवाने की मुहिम पर कार्य कर रही है। दहेज़ प्रथा व खर्चीली शादी कुरीति का उन्मूलन करके आदर्श विवाह की परंपरा ग़ायत्री परिवार चला रहा है।


गर्भ से ही सकारात्मक संतुलित व्यक्तित्व निर्माण व संस्कार की स्थापना के लिए आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी का अभियान बड़े स्तर पर चल रहा है। 


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - सकाम किसी उद्देश्य प्राप्ति हेतु गायत्री जप कैसे करें और कितना? क्या आध्यात्मिक के साथ संसारी लाभ हेतु गायत्री जप सकते हैं?

 प्रश्न - सकाम किसी उद्देश्य प्राप्ति हेतु गायत्री जप कैसे करें और कितना? क्या आध्यात्मिक के साथ संसारी लाभ हेतु गायत्री जप सकते हैं?


उत्तर - विद्युत एक ही होता है उससे फ़्रिज, मोटर, हीटर, एयरकंडीशनर, पंखा सब चल जाता है। 


ऐसे ही गायत्री मंत्र विद्युत की तरह है इसे जिस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए जपना चाहे जप सकते हैं।


संसारी और आध्यात्मिक सफलता दोनो मिलेगी। इसलिए गायत्री को कलियुग की कामधेनु कहते हैं।


गायत्री मंत्र सर्वप्रथम सिद्ध करें और वाणी शुद्धि के लिए सवा लाख गायत्री का जप का विधिवत अनुष्ठान और गायत्री महाविज्ञान व अंतर्जगत के ज्ञान विज्ञान पुस्तक का स्वाध्याय करें।


वाणी शुद्धि और चित्त शुद्धि के बर्फ  किसी एक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु कामना पूर्ति हेतु सवा लाख गायत्री मंत्र का अनुष्ठान करें।


साधना और पुरुषार्थ दो चाबी है, जिनसे किस्मत का ताला खुलता है।


बिजली/पेट्रोल से गाड़ी चलेगी, लेक़िन बिजली/पेट्रोल + गाड़ी दोनो होना चाहिए।


अतः सवा लाख अनुष्ठान के साथ साथ सम्बंधित क्षेत्र में योजना बनाकर पुरुषार्थ करना भी अनिवार्य है। साधना से मिली हुई शक्ति का उसी दिशा में पुरुषार्थ कर नियोजन भी अनिवार्य है।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Saturday, 10 December 2022

प्रश्न- *गूगल सर्च से पाया कि वर वधु की प्रतिज्ञायें में 5 वर की और 7 वधु की होती हैं पर शांतिकुंज 7-7 करवाता है..ऐसा क्यों?*

 प्रश्न- *गूगल सर्च से पाया कि वर वधु की प्रतिज्ञायें में 5 वर की और 7 वधु की होती हैं पर शांतिकुंज 7-7 करवाता है..ऐसा क्यों?*


उत्तर - परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी आध्यात्मिक वैज्ञानिक वाद के जनक और समर्थक हैं।  अतः कर्मकांड क्यों और कैसे के साथ साथ उस कर्मकांड से किस उद्देश्य को प्राप्त करना है उस पर गहन चिंतन करके तब साहित्य का सृजन किया है। 


गुरुदेव स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते तो इसलिए उन्होंने जो असम्भव कार्य स्त्रियों को गायत्री अधिकार का कोई नहीं कर सका, वह गुरुदेव ने किया। अब स्त्रियां गायत्री जप के साथ साथ यज्ञ पुरोहित भी हैं।


जब स्त्री पुरूष बराबर और एक दूसरे के पूरक हैं, तो घर गृहस्थी सुचारू रूप से चलाने और प्रेम सहकार निभाने में दोनों को समान उत्तरदायित्व निभाना है। तो यदि 7 वादे लड़की करेगी तो समानांतर 7 वादे लड़के को भी करने की आवश्यकता है। इसलिए दो प्रतिज्ञाएं वर के लिए जोड़कर उसे भी सात कर दिया है।


उन्होंने सोलह संस्कारों में विवेचना के समय में भी कुछ संस्कार आज के समय व्यवहार में उतनी गहराई से आधुनिक समय में न लिए जा सकने के कारण हटाया है और जन्मदिवस संस्कार और विवाह संस्कार को मुख्य रूप से जोड़ा है।


गाड़ी के दोनो पहिए में समान हवा हो तो ही गाड़ी का परफॉर्मेंस अच्छा होता है, एक 5% और दूसरा 7% हो तो बात नहीं बनेगी। 


गुगल वह रिजल्ट दिखाता है जो परंपरा वादी लकीर के फ़क़ीर लोगों ने लिखा है। किंतु अनुरोध है कि विवाह जैसे महत्त्वपूर्ण इकाई में समानता और सहयोग के महत्त्व को समझें और वाङ्गमय गृहस्थ एक तपोवन पढ़ें। एक दूसरे को प्रेम के साथ साथ सम्मान भी दें और बराबरी का अधिकार भी दें। तभी जीवन धरती का स्वर्ग बनेगा, अन्यथा झगड़े की कलह आग में जलेगा।


परम पूज्य गुरुदेव एक आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक रिसर्चर हैं, उनके लेख गहन रिसर्च और चिंतन पर आधारित हैं। अतः हम सभी को उनकी किसी से तुलनात्मक विवेचना की जगह गुरू देवकी कहीं बात और लेखन की प्रायोगिकता और उपयोगिता पर चर्चा करना चाहिए और उसे समझ उसका अनुपालन करना चाहिए।


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

डायबिटीज घरेलू उपाय से 6 महीने में ठीक करें - पनीर फूल(पनीर डोडा)

 सभी चिकित्सक, योग करवाने वाले भाइयों बहनों, आपसे अनुरोध है कि आप मेरे डायबटीज और ब्लडप्रेशर ठीक करने वाले रिसर्च में सहयोग करें। निम्नलिखित...