Friday, 29 July 2022

मन बच्चा है, उसे बकबक व शैतानी करने की

 मन बच्चा है, उसे बकबक व शैतानी करने की आदत है।


बच्चा शैतानी करे तो माँ केवल उसे देखे व उसे अहसास कराए कि वह देख रही है, प्रश्न पूँछे यह शैतानी क्यों? बच्चा सम्हल जाता है। मां उसे कोई दूसरा कार्य देती है।


ऐसे ही मन को जब देखेंगे, तब मन सतर्क हो जाता है व बकवास बन्द कर देता है,मन से पूँछे जिस विचार को सोच रहे हो क्या वह सत्य है उसका कोई प्रमाण तुम्हारे पास है? इस विचार से क्या मेरा भला है? किसी का भी भला है? यदि नहीं तो छोड़ दो...


 मन को कोई दूसरा विचार सोचने को दे दें। कोई कार्य दे दें।


होशपूर्वक जियें, मन की निगरानी करें व बुद्धिप्रयोग से मन मे विचार के असली कारण भावनाओ को सम्हालें।

Saturday, 23 July 2022

प्रश्न - अपनी कुछ लत/आदत से परेशान हूँ, उनसे मुक्ति चाहता हूँ। क्या व कैसे करूँ?

 प्रश्न - अपनी कुछ लत/आदत से परेशान हूँ, उनसे मुक्ति चाहता हूँ। क्या व कैसे करूँ?


उत्तर- बेटे, कमज़ोर दिमाग़ किसी भी आदत का ग़ुलाम बना देती है। पशुवत बना देती है। मजबूत दिमाग और दृढ़ इच्छाशक्ति से असम्भव भी सम्भव हो जाता है। निम्नलिखित उपाय अपनाओ अपनी लत को छुड़ाने के लिए

1- रोज उगते सूर्य का ध्यान व प्राणायाम करो

2- ग़ायत्री मन्त्र रोज 108 बार जपो

3- सूर्य नमस्कार यूटयूब पर उपलब्ध है उसे देखकर कम से कम तीन बार करो

4- हनुमान जी की चालीसा दिन में एक बार पढ़ो

5- जो लत छुड़ाना चाहते हो उसके बारे में नित्य सङ्कल्प पांच बार लिखो 

6- पानी हाथ में लो और एक बार ग़ायत्री मन्त्र जपो और पानी से बात करो और जो लत छुड़ाना चाहते हो उसकी शक्ति मांगों। फिर उस जल को पी लो।

7- एक तकनीक है 369 , जो लत छुड़ाना चाहते हो सुबह उठते ही मन ही मन तीन बार बोलो - "मैं मानसिक रूप से मजबूत हूँ, ईश्वर की कृपा से मैं इस **** लत से मुक्त हो गया हूँ"। दोपहर को 6 बार मन ही मन इसे पुनः दोहराओ  और रात को सोते वक्त 9 बार इसी वाक्य को मन ही मन दोहराकर सो जाओ।

8- एक कागज में लिखो- मेरा मन मेरे नियंत्रण में है, मुझे जीवन मे अपने कैरियर हेतु **** यह बनना है, इस मुकाम को हासिल करना है। मुझे सफल व्यक्ति बनना है। इस कागज़ को पर्स में रखो और सोते वक्त एक बार दोहरा लेना।

9- ईश्वर से अपनी समस्या मन ही मन कहिए और उनसे मानसिक शक्ति बढ़ाने की मदद मांगिये।


यह नौ  कार्य आपको 90 दिनों तक लगातार करना है। विश्वास मानिए 90 दिनों में आपका एक शानदान व्यक्तित्व होगा,मन नियंत्रण में होगा। लत छूट जाएगी। आपकी सफलता के लिए हम प्रार्थना करते हैं।


विचार कीजिए आदत बुरी लगी कैसे थी, तो उत्तर मिलेगा किसी न किसी बुरे दोस्त या बुरे रिश्तेदार से वह आदत लगी थी। अब उससे मुक्ति के लिए आपको अपनी संगति भी बदलनी होगी, 90 दिनों तक उन बुरी आदत वाले लोगों से दूर रहें। जो अच्छे व सफल व्यक्ति है उनकी संगति कीजिये, यदि आपके आदर्श लोग समय आपको नहीं दे रहे तो कोई बात नहीं आप महान लोगो के जीवन चरित्र पढ़े, जोश टाक देखे, किस्से कामयाबी के देखे, यूटयूब पर प्रेरक बुक समरी 90 दिनों तक पढ़े।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

कविता - खोज नहीं बस बोध जरूरी है

 कविता - खोज नहीं बस बोध जरूरी है


जल के अंदर मछली, 

मछली के अंदर जल है,

हवा के अंदर इंसान,

इंसान के अंदर हवा है,

ब्रह्म के अंदर जीव,

जीव के अंदर ब्रह्म है...


मछली को

जल ढूंढने की जरूरत नहीं है,

बस जल को पहचानना है,

जल की खोज नहीं बस बोध करना है,

इंसान को,

हवा ढूंढने की जरूरत नहीं है,

बस हवा को पहचानना है,

हवा की खोज नहीं बस बोध करना है,

जीवात्मा मानव को,

ब्रह्म ईश्वर को ढूढ़ने की जरूरत नहीं है,

बस उन्हें जानना-पहचानना है,

ब्रह्म की खोज नहीं बस बोध करना है।


💐श्वेता, DIYA

Thursday, 21 July 2022

अंडा एक जीवन का बीज है, जो पक्षी बनेगा।

 अंडा एक जीवन का बीज है, जो पक्षी बनेगा।

जिस जीवन को आप स्वाद हेतु नाश्ते में खा रहे हैं।

यदि नरभक्षियों के बीच एक परिवार चला जाय,

तो मानव बच्चे को वो अंडे की तरह नरम समझ नाश्ते में खाएंगे। 


अंडे खाने से कोई इंटेलिजेंट नहीं बनता, मांसाहारी सभी आइंस्टीन व रामानुज नहीं बनता। रोड बनाते, पंचर बनाते व गाड़ी धुलते जरूर अंडाहारी मिल जाएंगे। 


ईश्वर की नज़र में जितना क्रूर कर्म मानव बच्चे की हत्या है उतना ही क्रूर कर्म एक पक्षी के बच्चे की हत्या है। उतना ही क्रूर कर्म एक बकरे की हत्या है। ईश्वर-अल्लाह-गॉड नाम से आप कुछ भी बोले, सब एक हैं। उनकी सृष्टि में पशु पक्षी मानव सब समान हैं। 


अंडे खाते समय होशपूर्वक खाएं और यह समझ के खाएं कि आप एक पक्षी के बच्चे को खा रहे हैं। जीव हत्या के सहभागी बन रहे हैं।


गाय का दूध, मूंगफली, अलसी, सोयाबीन इत्यादि प्रकृति ने प्रोटीन के उत्तम संसाधन दिए हैं। नाश्ते में स्वयं का जीवन बचाने के लिए इन्हें खाएं। जीव हत्या न करें।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Wednesday, 20 July 2022

बच्चा आपका है तो उसे महान बनाने का उत्तरदायित्व भी आपका ही प्रथम है।

 बच्चा आपका है तो उसे महान बनाने का उत्तरदायित्व भी आपका ही प्रथम है। 


महापुरुष, श्रेष्ठ सफल स्त्री और वैज्ञानिक स्कूल में नहीं बनते, अपितु माता-पिता गढ़ते है। एडिसन को महान माता ने बनाया था स्कूल ने नहीं...


स्कूल में घोड़ा, हाथी, मछली, हंस, सिंह और मधुमक्खी सबको एक जैसा पढ़ाएगा और एक जैसा उनका आंकलन करेगा। आपका बच्चा स्कूल भरोसे अपने मूल सत्ता को पहचान व निखार नहीं सकेगा।


उदाहरण - मछली उड़ने में फ़ैल होगी और हंस तैरने में फ़ैल होगा ही..ऐसे ही मछली तैरने में और हंस उड़ने में सफल भी होगा। 


आवाज़ अच्छी होने मात्र से कोई गायक नहीं बनता, गायन सीखना और बहुत रियाज़ की जरूरत है। वैसे ही दिमाग़ तेज होने मात्र से कोई साइंटिस्ट नहीं बनता, उसे भी सीखना और अभ्यास करना पड़ता है।  


बच्चों के अंदर के मूल व्यक्तित्व व कृतित्व को पहचानने में स्कूल कोई मदद नहीं करने वाला क्योंकि वह तो एक सेट पैटर्न की बुक ही पढ़ायेगा और फीडबैक तय करेगा।


बच्चा आपका है तो उसे महान बनाने का उत्तरदायित्व भी आपका ही प्रथम है। बच्चे के अंदर की प्रतिभा पहचानना और उसे निखारना आपका उत्तरदायित्व है। बच्चों को  स्कूल में भर्ती करके कर्तव्य पूर्ति मान लेंगे तो बच्चा औसत बनेगा व भीड़ का हिस्सा बनेगा। 


यदि बच्चे को महान बनाने के लिए स्वयं अतिरिक्त प्रयास करेंगे तब ही बच्चा महान बनेगा।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday, 19 July 2022

विभिन्न देवी- देवताओं के लिये गायत्री मन्त्र -

 विभिन्न देवी- देवताओं के लिये गायत्री मन्त्र -


" ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् "


1. गणेश :- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।


2. गणेश :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।


3. ब्रह्मा :- ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।


4. ब्रह्मा :- ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।


5. ब्रह्मा:- ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।


6. विष्णु:- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।


7. रुद्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।


8. रुद्र :- ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।।


9. दक्षिणामूर्ती :- ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि, तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।


10. हयग्रीव :- ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।


11. दुर्गा :- ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।


12. दुर्गा :- ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।।


13. दुर्गा :- ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।


14. सरस्वती :- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।


15. लक्ष्मी:- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।


16. शक्ति :- ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।


17. अन्नपूर्णा :- ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।।


18. काली :- ॐ कालिकायै च विद्महे, स्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।


19. नन्दिकेश्वरा :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।


20. गरुड़ :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।।


21. हनुमान :- ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।


22. हनुमान :- ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।।


23. शण्मुख :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि, तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।।


24. ऐयप्पन :- ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।।


25. धनवन्त्री :- ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।


26. कृष्ण :- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।


27. राधा :- ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।


28. राम :- ॐ दशरताय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।


29. सीता :- ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।


30. तुलसी:- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् !

Saturday, 16 July 2022

कविता- युद्ध के बीच मङ्गल गीत गाओ

कविता- युद्ध के बीच मङ्गल गीत गाओ


जीना है तो संघर्ष करना पड़ेगा,

चुनौतियों से दो दो हाथ करना पड़ेगा,

विरोधियों को तो झेलना पड़ेगा,

लोगों की आलोचना सहना पड़ेगा।


जिंदा हो तो,

लोग निंदा चुगली करेंगे ही,

जिंदा हो तो,

लोग राह रोकेंगे ही...


तुम्हारे बारे में..

लोग केवल अच्छा बोलें,

तो तुम्हें मरना पड़ेगा,

लोग तुम्हें रास्ता दें,

तो तुम्हें मुर्दा बनना पड़ेगा।


अरे जिंदगी कोई मंजिल नहीं,

जो मिल जाएगी,

यह तो यात्रा है,

जो अनवरत चलती जाएगी...


जिंदगी के उतार चढ़ाव से क्या घबराना?

योद्धा की तरह ज़िंदगी जीते जाना,

प्रत्येक पल में ज़िंदगी भर लो,

स्वयं की मनःस्थिति योद्धा सी कर लो..


तुम विजेता थे, हो और रहोगे,

इस जीवन युद्ध में विजयी रहोगे,

हे अर्जुन जीवन जीने की कला सीख जाओ,

इस युद्ध के बीच ही मङ्गल गीत गाओ...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Wednesday, 13 July 2022

मित्रवत हंसी खुशी रहना है, लोकप्रिय बनना है तो..

 मित्रवत हंसी खुशी रहना है,

लोकप्रिय बनना है तो..

आज से ही..

दूसरों की आलोचना न करें..

दूसरों को अपशब्द न बोलें..

किसी की तुलना किसी और से न करें..

जो जैसा है उसे वैसा स्वीकारें..

हंसते मुस्कुराते रहें...

किस्मत का रोना न रोएं..

परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करें..

जितनी मदद हो दूसरे की करें...

मग़र बदले में किसी से अपेक्षा न करें..

स्वयं के मन का रिमोट दूसरों को न दें...

दूसरे के मन को नियंत्रित करने की कुचेष्टा भी न करें..

लोभ मोह के बंधन न पड़ें..

स्वयं भी खुश रहें...

दूसरों को भी ख़ुशियाँ बांटे...

स्वयं की गलती पर क्षमा मांग लें...

दूसरों की गलती को क्षमा कर दें...

स्वयं से प्रेम करें..स्वयं को भी क्षमा करें...

ईश्वर की शरण मे रहें.. स्वयं की मदद स्वयं करें...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

प्रश्न - स्त्रियों के ग़ायत्री जप व जनेऊ सम्बन्धी...

 प्रश्न - स्त्रियों के ग़ायत्री जप व जनेऊ सम्बन्धी...


1 *जनेऊ पहनी है क्या? यदि नहीं तो बिना जनेऊ धारण किए गायत्री मंत्र जाप शास्त्र सम्मत नही है*


2 *यदि हां,तो महिलाओं  को जनेऊ पहनने का हक नही है।*


सनातन संस्कृति में जनेऊ अर्थात यज्ञोपवीत को गुरुदीक्षा के बाद धारण किया जाता है। यह वस्तुत शरीर रूपी मंदिर में ईश्वर की धागा रूपी प्रतिमा होती है - इसमें मुख्य तीन धागे सृजन शक्ति-पालन शक्ति-विध्वंस शक्ति क्रमशः ब्रह्मा विष्णु महेश के प्रतीक है। यह साकार पूजन में सहायक है। 


कुंवारा पुरुष व स्त्री केवल एक धारण करते हैं, हिन्दू धर्म मे विवाह के पश्चात स्त्री-पुरुष को एक माना गया है। स्त्री का जनेऊ पुरुष अपने जनेऊ के साथ मिला कर डबल पहनता है। 


जैसे ईश्वर की मूर्ति के साथ पूजन होता है और ईश्वर का निराकार पूजन भी होता है। वैसे ही जनेऊ धारण करके साकार ग़ायत्री साधना और बिना जनेऊ के निराकार ग़ायत्री साधना की जा सकती है।


शिखा शरीर रूपी मंदिर का ध्वज है और जनेऊ शरीर रूपी मंदिर की प्रतिमा होती है। इनके साथ साधना आसान व साकार होती है, इनके बिना साधना पथ थोड़ा कठिन व निराकार होता है।


यदि आपने शास्त्रों का गहन अध्ययन किया होता तो आप यह प्रश्न ही नहीं पूँछते, क्योंकि सनातन धर्म में साधना मार्ग स्त्री व पुरूष दोनो के लिए समान उपलब्ध है।


ग़ायत्री जप व जनेऊ का हक देने वाले व हक न देने वाले आप कौन हैं? माँ रूपी स्त्री के रक्त मांस मज्जा से आपका शरीर बना है? आप ग़ायत्री जप सकते हैं व आपको जन्म देने वाली माता नहीं जप सकती? किस आधार पर बता सकते हो?


अरे भाई वेदों और पुराणों में कई मन्त्र की दृष्टा स्त्री है, देवियों लक्ष्मी सरस्वती काली ग़ायत्री सब स्त्री मातृ शक्ति की प्रतीक ही तो हैं।


ग़ायत्री साधना में नियम व विधिविधान थोड़े कठिन है व कुछ साधनाएं जैसे चन्द्रायण इत्यादि कठिन है बिल्कुल वैसे ही जैसे सेना के कार्य हों। लेकिन क्या सेना में स्त्रियां नहीं है? वह क्या जल-थल-वायु सेना का अंग नहीं है? जो थोड़े विधिविधान पालन कर सके, प्रत्येक उस स्त्री को ग़ायत्री साधना अवश्य करनी चाहिए। ग़ायत्री मन्त्र कलियुग की कामधेनु है, जो सांसारिक व आध्यात्मिक दोनो लाभ देता है। बुद्धि का विकास करता है।


पढ़ाई व जॉब कठिन है तो क्या स्त्रियों को पढ़ाई व जॉब से वंचित रखना चाहिए? नहीं न... पढ़ाई व जॉब जैसे स्त्री पुरुष दोनों के लिए है...वैसे ही ग़ायत्री साधना सबके लिए है...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Tuesday, 12 July 2022

जय जवान, जय किसान, जय बिजनेसमैन...

 जय जवान, जय किसान, जय बिजनेसमैन...


जोखिम उठाने वाले बिजनेसमैन का,

दिल से सम्मान करो,

भारत की आर्थिक उन्नति में,

उनका अभिन्न योगदान समझो...


आज के युवा कमाने के अवसर,

कहाँ तलाश रहे है,

मालिक बनने में..

या नौकर बनने में..


कितने युवा इस बात को मानते हैं..

इरादा रखते हैं कि...

बड़ी कम्पनी में... बड़ा नौकर.. उच्च पद में बनने से अच्छा..

छोटी कम्पनी ही सही पर मालिक बनेंगे?

नौकरी मांगने वाले की जगह..

नौकरी देनेवाला बनेंगे...


अधिकतर युवाओं की क्या चाहत है?

अपनी योग्यता के आधार पर नौकरी ढूढ़ना?

या नौकरी के अवसर पैदा करने की चाहत है?..

युवा क्या चुन रहे हैं..

कम जोख़िम में नौकरी करना,

या जोख़िम उठा कर बिज़नेस करना?


नौकर के लिए जोख़िम कम है,

समस्या हुई तो नौकरी बदल देगा,

बिजनेसमैन का तो बिजनेस उसका अपना बच्चा है,

वह समस्या से जूझेगा और उसे बचाने में जुटेगा...


बिजनेसमैन बनने के लिए बड़ा ज़िगर चाहिए,

तूफ़ानों से लड़ने का हुनर चाहिए,

कमज़ोर दिल बिजनेस नहीं कर सकते,

बिजनेस के उतार-चढ़ाव को नहीं झेल सकते...

बिजनेस खड़ा करने के लिए अदम्य पुरुषार्थ चाहिए,

हर प्रकार का जोख़िम उठाने का हुनर चाहिए...


क़ीमत तो बिजनेसमैन और नौकरी दोनों की है,

फ़िर भी जोखिम अधिक तो बिजनेस में ही है,

अतः बिजनेसमैन छोटा हो या बड़ा उसका सम्मान कीजिये,

क्योंकि बिजनेसमैन के जोख़िम से कईयों को नौकरी मिलती है,

कई परिवारों की उसके कारण घर गृहस्थी चलती है..


जय जवान जय किसान के साथ साथ,

जय बिजनेस मैन भी बोलो,

जो बिजनेसमैन बने व स्टार्टअप खोले,

उसका हर सम्भव सहयोग करो...


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन


आपकी बहन श्वेता आप सभी बिजनेसमैन को यह कविता समर्पित करती है, जिनके जोखिम उठाने के कारण कम्पनी या व्यवसाय खोलने के कारण एक से अधिक लोगों को नौकरी मिलती है।

Monday, 11 July 2022

प्रश्न- *कोई पैसा लेकर न लौटाए तो क्या करें?*

 प्रश्न- *कोई पैसा लेकर न लौटाए तो क्या करें?*


दीदी प्रणाम🙏

अभी तक मेरे साथ जो दिक्कत आई है हम आप से बोले है और उसका सॉल्व भी हुआ हैं.. दीदी हा से कोई चालकी कर के पैसे लिया हैं 30000 और वो अब दे नही रहा हैं और अभी मुझे भी उन पैसों का बहुत जरूरत हैं वो परेशान कर के रखा हैं अकलि लड़की सोच कर.. दीदी मुझे कुछ बताइये क्या करे...


उत्तर - आत्मीय बहन, तुम अपना प्रयास पैसा वापस पाने का करो, यदि पैसा वापस न मिले तो उसे भूलकर आगे बढ़ो। वह इस जन्म में लौटाए या अगले जन्म में...लौटाना तो उसे पड़ेगा...


किंतु आप उस पैसे के चक्कर मे स्वयं को टेंशन व फ्रस्ट्रेशन में मत डालो..


हमारे भी कई बार पैसे डूबे हैं लोगो ने लिया और लौटाया नहीं... जबकि उस समय मुझे उन पैसों की शख्त जरूरत थी.. लेक़िन हम उन पैसों को वापस पाने का प्रयास किये, न मिलने पर उसे ईश्वर की इच्छा और प्रारब्ध समझ के भूल गए..


जिंदगी में आगे बढ़ गए, क्योंकि मेरा जीवन समय और मेरा मन बहुत कीमती है.. उस व्यक्ति के कुकृत्य व धोखे को याद करके अपना अमूल्य समय व जीवन क्यों बर्बाद करूं? इससे अच्छा है इस समय का कहीं और सदुपयोग करूँ...


कोई लुटेरा हमारे कुछ पैसे एक बार लूट सकता है, लेकिन वह हमारे कमाने का हुनर, ज्ञान व व्यक्तित्व नहीं चुरा सकता... हम सभी को ऐसे लुटेरों और धोखेबाज से सावधान रहने की आवश्यकता है...लेक़िन इनकी दुष्टता का दंड दूसरे जरूरतमंद को नहीं देना है..अपनी भलाई व अच्छाई को बरकरार रखना है..


मदद बरगद के पेड़ की तरह दूसरे की करें, स्वयं के अस्तित्व व जीवन को मजबूत रखने के लिए कई जड़े जमीन पर अर्थात आर्थिक व्यवस्था रखें....पास कोई आये मदद मांगने तो उसे छाया अवश्य दें, उसकी मदद अवश्य करें...मग़र अपनी जड़ न उखड़ने दें...अपनी आर्थिक स्थिति को पूरा डिस्टर्ब न करें... आपको मदद करनी है... आपको मदद मांगने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए...आप कीमती है.. आपका समय कीमती है..आपका व्यक्तित्व शानदार है... खूब कमाइए और स्वयं के जीवन को बेहतर बनाइये... मदद देवता बनकर करते रहिए... कहीं ज्ञानदान कीजिये, कहीं समयदान कीजिए और कहीं अंशदान कीजिये...


किसी की मदद करने से पहले स्वयं से दो प्रश्न पूँछिये ...


पहला - यदि यह अहसान फरामोश निकला और मेरे पैसे न लौटाए तो क्या होगा?


दूसरा - यदि यह अच्छा व्यक्ति निकला और मेरे पैसे लौटाए और मेरा अहसानमंद रहा तो क्या होगा?


यदि दोनो परिस्थितियों में आप की सत्ता नहीं हिलती और आप अच्छे व बुरे परिणाम झेल सकते हैं। तभी जानिए कि आप गुरु के सच्चे शिध्य हैं और आप जीवन जीने की कला जानते हैं।


पहले शुरुआत में मेरी मात्र 12 हज़ार सैलरी थी, एक ऑफिस के बंदे ने उसके बच्चे के एक्सीडेंट होने की बात कही और हमने बचत और वर्तमान महीने की सैलरी कुल मिलाकर 25 हज़ार रुपये उसे दे दिए। सोचो बिन पैसे हमने कैसे मैनेज किया होगा कितनी परेशानी झेली होगी, उस बंदे ने छः महीने बाद कम्पनी चेंज कर दी और आजतक पैसा नहीं लौटाया। 


अतः दुष्ट अहसान फरामोश व्यक्ति सबके जीवन मे आते हैं, लेकिन इस दुष्ट की दुष्टता को याद करके हमने अपना दिमाग़ खराब नहीं किया और न मदद करनी बन्द की...


क्योंकि बुरे और अच्छे दोनो लोग इस दुनियां में है। कई ऐसे है जिनकी हमने मदद की तो वह पैसे भी लौटाये और आजतक अहसान मानते हैं...


कई ऐसे हैं जिनके परिवार जन को मौत के मुंह से निकाला, डॉक्टर हॉस्पिटल और क्रेडिट कार्ड तक से पैसे दिए। वह अहसान तो मानते नहीं अपितु पीठ पीछे मेरी बुराई भी करते हैं।


यह दुनियां रँग बिरंगी हैं, अतः अच्छे बुरे दोनो तरह के लोग मिलेंगे। 


हमें दोनो को हैंडल करना आना चाहिए, स्वयं के जीवन का रिमोट दूसरे के हाथ मे न दें। दूसरे की गई दुष्टता का दंड स्वयं को या दूसरे को न दें... उस बात को वहीं छोड़े और आगे बढ़े...


गाड़ी खराब हो जाए रास्ते में.. तो कोई सफ़र बन्द नहीं करता.. गाड़ी ठीक करके आगे बढ़ता है.. न ठीक होने पर गाड़ी छोड़ देता है हानि उठाके बेंच देता है, दूसरी गाड़ी किराए पर लेकर सफर में आगे बढ़ जाता है। जीवन का सफर भी ऐसा ही है, दुष्ट कृतघ्न लोगों की दुष्टता के कारण सफर मत रोको, आगे बढ़ो। वह तुम्हें एक बार लूट सकते हैं.. बार बार नहीं..


तुम्हारे ज्ञान , व्यक्तित्व व कमाने का हुनर कोई लूट नहीं सकता। तुम आगे बढ़ो..



आपकी बहन

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

कभी सोचा है... एक ही परिस्थिति में, कोई क्यों संवर जाता है, कोई क्यों टूटकर बिखर जाता है?

 कभी सोचा है...

एक ही परिस्थिति में,

कोई क्यों संवर जाता है,

कोई क्यों टूटकर बिखर जाता है?


कभी सोचा है..

ऐसा क्यों होता है?

कोई क्यों सतत आगे बढ़ता रहता है..

तो कोई क्यों किस्मत का रोना रोता रहता है...


बदतर से भी,

कोई कुछ बेहतर निकाल लेता है,

समस्याओं में से भी,

कोई कुछ अवसर निकाल लेता है,


कांटों से भी,

कोई कुछ उपयोगी बना लेता है,

तूफ़ानों में भी,

कोई मंजिल ढूँढ़ लेता है...


विचारोगे तो पाओगे कि...

परिस्थिति तो सबके लिए,

एक जैसी ही होती है,

मनःस्थिति ही सबकी,

अलग अलग होती है...


परिस्थिति तो..

अवसरों से आधी ग्लास भरी है,

और आधी ग्लास ख़ाली है,

सकारात्मक मनःस्थिति वाले की नज़र,

आधे भरे की ओर है..

किस्मत का रोना रोने वाले की नज़र,

आधे ख़ाली की ओर है..


अब समझे..

क्यों एक ही परिस्थिति में,

कोई संवर जाता है,

कोई टूटकर बिखर जाता है..

कोई क्यों विपत्ति में भी अवसर ढूँढ़ लेता है,

कोई क्यों विपत्ति में रोना रोता रहता है...


युगऋषि कहते हैं..

सफल होना है तो मनःस्थिति बदलो,

जीवन के प्रति दृष्टिकोण ठीक रखो,

स्वयं से पूँछो?

मैं अभी क्या हूँ? कहाँ हूँ?

मुझे क्या बनना है? कहाँ पहुंचना है?

मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है?

मुझे उस तक पहुंचने के लिए क्या करना है?

कैसे करना है? योजना क्या है?

इन प्रश्नों का उत्तर तलाशो,

लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा लो...



🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

Friday, 1 July 2022

आर्थर ऐश टेनिस प्लेयर की प्रेरक सत्य कहानी

 मेरी किस्मत ही खराब है.. मेरे साथ ही बुरा क्यों होता है?


आर्थर ऐश की प्रेरक सत्य कहानी


आर्थर ऐश अमेरिका के टॉप Tennis player थे। अपने करियर के शीर्ष पर वो दुनिया के नंबर 1 प्लेयर बने। 3 ग्रैंड स्लैम (Wimbledon, U.S. Open, Australian Open) जीतने वाले एकमात्र अश्वेत खिलाड़ी का रिकॉर्ड भी आर्थर ऐश के ही नाम है।


80के दशक में आर्थर की हार्ट-बाईपास सर्जरी हुई. इस ऑपरेशन के दौरान उन्हें चढ़ाये गये अशुद्ध खून की वजह से आर्थर HIV संक्रमित हो गए। सन 1992 में आर्थर ने सार्वजनिक रूप से लोगों को अपनी इस बीमारी के बारे में बताया।

आर्थर ऐश अब लोगों में HIV, AIDS के प्रति जागरूकता फ़ैलाने का काम करने लगे। सन 1993 में आर्थर ऐश की मृत्यु हो गई।


आर्थर को हर रोज दुनिया भर से उनके फैन्स व उनके प्रति संवेदना रखने वालों के कईयों पत्र मिला करते थे। एक बार उन्हें एक पत्र मिला जिसमें लिखने वाले ने उनसे सवाल किया – भगवान ने आपको इनती बुरी बीमारी देने के लिए क्यों चुना ?

इस सवाल का जो जवाब आर्थर ने दिया, वो लोगों के लिए एक अनोखी मिसाल बन गया।


Arthur Ashe ने लिखा –

पूरी दुनिया में 5 करोड़ बच्चे Tennis खेलना शुरू करते हैं, उनमें से 50 लाख बच्चे टेनिस की शिक्षा लेते हैं, जिसमें से 5 लाख बच्चे Professional Tennis की ट्रेनिंग तक पहुँचते हैं, फिर उनमें 50 हजार सफल होकर सर्किट तक आ पाते हैं, इसमें 5000 Grand Slam तक जाते हैं, जिनमें 50 विंबलडन पहुँचते हैं, जिसके बाद 4 सेमीफाइनल और आखिरी 2 लोग फाइनल्स में आते हैं।


जब मैंने उस विजयी कप को अपने हाथ में पकड़ा हुआ था, तो मैंने भगवान से ये कभी नही पूँछा –  *मैं ही क्यों* ?

और आज जब मैं दर्द में हूँ, तो मुझे भगवान से ये नहीं पूछना चाहिए –  *मैं ही क्यों* ?

जीवन में जो कुछ भी हमारे साथ अच्छा हुआ, हम कभी ये नहीं सोचते कि क्या हम उसके लायक थे ? क्या हमसे बेहतर लोग नहीं थे जो उस सफलता के हकदार थे ? क्या भगवान हमारे ऊपर दयालु नहीं थे ?

जी नहीं ! हम तो ढेरों ऐसी बातें, ऐसी घटनाएं भूल जाते हैं या जो कुछ मिला है उसकी कद्र नहीं करते हैं। जब बुरा टाइम आता है, तो फिर हमें सब कुछ बुरा दिखता है और हम हर चीज को कोसने लगते हैं। हम ईश्वर के उपकार और दया को भूल जाते हैं।


भगवान के न्याय पर कभी प्रश्न मत करना, वह कभी किसी को बेवज़ह कष्ट नहीं देता। हमारे अपने पिछले जन्म के कर्म के अनुसार वह हमें फल देता है।


हमारे हाथ मे मात्र कर्म है, फल हम तय नहीं कर सकते।

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