*10 सदवाक्य - जीवन के सौंदर्यीकरण के लिए*..
1- गुलाब का फूल किसी को सुगंध और किसी को दुर्गंध नहीं दे सकता। क्योंकि उसमें केवल सुगंध भरी है, सुगंध ही बाँट सकता है। यदि तुम्हारे अंदर सिर्फ़ प्रेम भरा है तो तुम किसी से नफ़रत कर ही न सकोगे। जिस हृदय रूपी कप में जो भरा है वो छलकेगा।
2- मिस्टर परफेक्ट और मिस परफेक्ट विवाह के लिए ढूंढने वाले इस जन्म में कुंवारे ही रहेंगे, क्योंकि परफेक्ट प्रजाति इस संसार में पाई नहीं जाती। परफेक्शन एक अपेक्षा है न कि कोई हक़ीक़त, एक व्यक्ति के अनुसार जो परफेक्ट है दूसरे के लिए वही अयोग्य हो सकता है।
3- तीन शरीर - स्थूल, सूक्ष्म और कारण सबके पास है। अच्छी बात यह है कि स्थूल शरीर की तरह दोनों अन्य शरीर में आँख हैं, बस फ़र्क़ इतना है कि दोनों शरीर सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर की आँखें बंद हैं। इसलिए सूक्ष्म जगत और कारण जगत पहेली बना हुआ है।
4- जिन्हें अपने जीवनसाथी में बुराईयों की खाई के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता और स्वयं में अच्छाइयों का पहाड़ दिखता है, उन्हें मनःचिकित्सक की सख्त जरूरत है।
5- कुछ लोग मक्खी होते हैं, सर्वत्र गंदगी ढूँढकर उसपर बैठते हैं, कुछ मधुमक्खी होते हैं, पुष्प ढूढ़कर उसपर बैठते हैं?आप क्या हो स्वयं विचारो? आप जिस प्रकार के प्रोग्राम, फ़िल्म, साहित्य पसन्द करते हैं, जैसा चिंतन करते है, जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर पोस्ट लिखते,पढ़ते और फारवर्ड करते हैं, वो आपके मक्खी या मधुमक्खी के व्यक्तित्व को बताते है।
6- पूजन, तप, भोजन, पढ़ाई, स्नान, जॉब, आत्मकल्याण के कार्य, लोककल्याण के कार्य, बच्चे के प्रति उत्तरदायित्व और जीवनसाथी के प्रति उत्तरदायित्व सब अलग हैं, जब जो कर रहे हो उसमें दूसरे की मिक्सिंग मत करो। ऑफिस को घर और घर को ऑफिस मत बनाओ। पूजन और भोजन मिक्स मत करो। जीवनसाथी के प्रति उत्तरदायित्व और अध्यात्म के प्रति उत्तरदायित्व दोनों के निर्वहन को अलग अलग पूर्ण निष्ठा से करो। मिक्स मत करो। किसी को उपेक्षित मत करो।
7- टाटा बिड़ला हो या अम्बानी, दुःखी दरिद्र हो या भिखारी सबको प्रत्येक दिन 86400 second वक्त ही मिलता है।सही उपयोग से सफल बना जा सकता है। समय धन है, इसे व्यर्थ मत जाने दो। इसके प्रत्येक पल का सदुपयोग करो।
8- मोक्ष वो है कि शरीर जिंदा रहे और इच्छाएँ मर जाएं, कुशल ड्राइवर वो है जो मन की गाड़ी का स्टीयरिंग स्वयं सम्हाले।
9- सदा युवा और आत्मिक सौंदर्यीकरण का उपाय - रोज कुछ अच्छा पढ़ो, कुछ नया सीखो, कुछ अच्छा सुनो और देखो, रोज किसी अच्छी बात का चिंतन करो। पुष्प की तरह खुशियां बिखेरो। रोज़ ध्यान करो, स्वयं के जीवन को साक्षी भाव से देखो और स्वयं की पूर्णता के लिए प्रयत्नशील रहो।
10- जिस दिन स्वयं को जीत लोगे, जिस दिन स्वयं को जान लोगे। यह संसार स्वतः तुम्हारे कदमों में होगा और दुनियाँ स्वतः जीत लोगे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
1- गुलाब का फूल किसी को सुगंध और किसी को दुर्गंध नहीं दे सकता। क्योंकि उसमें केवल सुगंध भरी है, सुगंध ही बाँट सकता है। यदि तुम्हारे अंदर सिर्फ़ प्रेम भरा है तो तुम किसी से नफ़रत कर ही न सकोगे। जिस हृदय रूपी कप में जो भरा है वो छलकेगा।
2- मिस्टर परफेक्ट और मिस परफेक्ट विवाह के लिए ढूंढने वाले इस जन्म में कुंवारे ही रहेंगे, क्योंकि परफेक्ट प्रजाति इस संसार में पाई नहीं जाती। परफेक्शन एक अपेक्षा है न कि कोई हक़ीक़त, एक व्यक्ति के अनुसार जो परफेक्ट है दूसरे के लिए वही अयोग्य हो सकता है।
3- तीन शरीर - स्थूल, सूक्ष्म और कारण सबके पास है। अच्छी बात यह है कि स्थूल शरीर की तरह दोनों अन्य शरीर में आँख हैं, बस फ़र्क़ इतना है कि दोनों शरीर सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर की आँखें बंद हैं। इसलिए सूक्ष्म जगत और कारण जगत पहेली बना हुआ है।
4- जिन्हें अपने जीवनसाथी में बुराईयों की खाई के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता और स्वयं में अच्छाइयों का पहाड़ दिखता है, उन्हें मनःचिकित्सक की सख्त जरूरत है।
5- कुछ लोग मक्खी होते हैं, सर्वत्र गंदगी ढूँढकर उसपर बैठते हैं, कुछ मधुमक्खी होते हैं, पुष्प ढूढ़कर उसपर बैठते हैं?आप क्या हो स्वयं विचारो? आप जिस प्रकार के प्रोग्राम, फ़िल्म, साहित्य पसन्द करते हैं, जैसा चिंतन करते है, जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर पोस्ट लिखते,पढ़ते और फारवर्ड करते हैं, वो आपके मक्खी या मधुमक्खी के व्यक्तित्व को बताते है।
6- पूजन, तप, भोजन, पढ़ाई, स्नान, जॉब, आत्मकल्याण के कार्य, लोककल्याण के कार्य, बच्चे के प्रति उत्तरदायित्व और जीवनसाथी के प्रति उत्तरदायित्व सब अलग हैं, जब जो कर रहे हो उसमें दूसरे की मिक्सिंग मत करो। ऑफिस को घर और घर को ऑफिस मत बनाओ। पूजन और भोजन मिक्स मत करो। जीवनसाथी के प्रति उत्तरदायित्व और अध्यात्म के प्रति उत्तरदायित्व दोनों के निर्वहन को अलग अलग पूर्ण निष्ठा से करो। मिक्स मत करो। किसी को उपेक्षित मत करो।
7- टाटा बिड़ला हो या अम्बानी, दुःखी दरिद्र हो या भिखारी सबको प्रत्येक दिन 86400 second वक्त ही मिलता है।सही उपयोग से सफल बना जा सकता है। समय धन है, इसे व्यर्थ मत जाने दो। इसके प्रत्येक पल का सदुपयोग करो।
8- मोक्ष वो है कि शरीर जिंदा रहे और इच्छाएँ मर जाएं, कुशल ड्राइवर वो है जो मन की गाड़ी का स्टीयरिंग स्वयं सम्हाले।
9- सदा युवा और आत्मिक सौंदर्यीकरण का उपाय - रोज कुछ अच्छा पढ़ो, कुछ नया सीखो, कुछ अच्छा सुनो और देखो, रोज किसी अच्छी बात का चिंतन करो। पुष्प की तरह खुशियां बिखेरो। रोज़ ध्यान करो, स्वयं के जीवन को साक्षी भाव से देखो और स्वयं की पूर्णता के लिए प्रयत्नशील रहो।
10- जिस दिन स्वयं को जीत लोगे, जिस दिन स्वयं को जान लोगे। यह संसार स्वतः तुम्हारे कदमों में होगा और दुनियाँ स्वतः जीत लोगे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन